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________________ 92... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन कि यह परीक्षण सम शीतोष्ण अथवा शुष्क जलवायु के समय करना चाहिए। यदि तत्काल या कुछ समय पूर्व वर्षा हुई हो तो परीक्षण विधि नहीं करें। प्रथम विधि- जिस भूमि पर मंदिर निर्माण करना हो वहाँ मध्य भाग में चौबीस अंगुल (एक हाथ) लम्बा, चौड़ा एवं गहरा खड्डा खुदवाये। फिर उसमें से निकली हुई मिट्टी को पुन: उसी में भरे। यदि गड्ढा भरने के उपरान्त मिट्टी बच जाये तो उस भूमि को उत्तम मानना चाहिए। यदि मिट्टी न बचें तो उसे मध्यम जानना चाहिए और यदि गड्ढा खाली रह जाये तो उसे जघन्य समझना चाहिए। जघन्य भूमि अशुभ कही गई है। ऐसी भूमि पर मन्दिर निर्माण से दुख-दारिद्रय का कष्ट भोगना पड़ता है।12। द्वितीय विधि- प्रस्तावित भूमि के मध्य भाग में चौबीस अंगुल (एक हाथ) लम्बा, चौड़ा और गहरा गड्ढा खुदवाये। उसमें पूरी तरह से पानी भर दें। फिर 100 कदम चलकर पुन: गड्ढे के समीप आयें और देखें कि यदि एक अंगुल पानी कम हुआ हो तो वह भूमि उत्तम है, यदि दो अंगुल पानी कम हुआ हो तो मध्यम है और तीन अंगुल पानी कम हुआ हो तो जघन्य समझना चाहिए। जघन्य भूमि मंदिर निर्माण के योग्य नहीं होती।13 तृतीय विधि- तीसरी विधि के अनुसार सन्ध्या के समय जब कुछ अंधेरा होने लगे तब निर्धारित थोड़ी भूमि के चारों ओर परकोटे की भाँति चटाई को इस प्रकार बांधे कि हवा का जरा भी प्रवेश न हो। फिर उस भूमि पर 'ॐ हुं फुट' मंत्र लिखें। इस मंत्र पर चार दिशाओं की ओर चार कच्चे घड़े रखें और उन पर कच्ची मिट्टी के चार दीपक घी से भरकर रखें। तदनन्तर पूर्व दिशा में सफेद, दक्षिण दिशा में लाल, पश्चिम दिशा में पीली और उत्तर दिशा में काली बत्ती लगाकर प्रज्वलित करें। वहाँ दो श्रावक नवकार मंत्र का जाप करते हुए रात्रि जागरण करें और दीपकों पर विशेष ध्यान दें। यदि सफेद या पीली बत्ती वाला दीपक पहले बुझ जाये तो अशुभ फलदायक समझें और यदि लाल या काली बत्ती वाला दीपक पहले बुझ जाये तो उत्तम फलदायक समझें।14 इस प्रकार भूमि परीक्षा करके मन्दिर निर्माण का कार्य प्रारम्भ करना चाहिए। भूमि परीक्षा की अन्य विधि ___एक अन्य तरह से भी भूमि की परीक्षा की जाती है। इस विधि के अनुसार भी उपयोगी भूमि के मध्य भाग में एक हाथ गहरा गड्ढा खोदें। नीचे की भूमि का
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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