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________________ 14... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... अष्टोपचारी पूजा कहा गया है। 54 पूजा प्रकरण में उमास्वाति ने वास, धूप, अक्षत, दीपक, बलि, जल और फल इन उत्तम द्रव्यों से भगवान की अष्टप्रकारी पूजा करने को अष्टोपचारी पूजा कहा है।55 सम्बोध सप्तति में पुष्प, गन्ध, धूप, अक्षत, दीपक, फल, जल और नैवेद्य के विधान से जिनपूजा आठ प्रकार की बताई गई है 1 56 सम्बोध प्रकरण, चैत्यवंदन महाभाष्य, श्री चन्द्र महत्तरजी कृत अष्टोपचारी पूजा, उपदेश माला की 'दो घट्टी' टीका आदि में इन्हीं आठ प्रकारों से पूजा करने को अष्टोपचारी पूजा कहा गया है परंतु क्रम में अंतर परिलक्षित होता है। वास पूजा के स्थान पर कहीं-कहीं पर गन्ध पूजा का उल्लेख है। 57 दर्शन शुद्धि प्रकरण में कुसुम, अक्षत, धूप, दीपक, वास, फल, घृत एवं जल के द्वारा अष्टोपचारी पूजा करने का वर्णन है। 58 आचारोपदेश में सबसे पहली बार अष्टोपचारी पूजा के अंतर्गत चंदन पूजा का उल्लेख किया गया है। यहाँ वास या गंध पूजा के स्थान पर चंदन पूजा का निर्देश है। इसमें अष्टोपचारी पूजा के क्रम में प्रथम स्थान पर चंदन पूजा एवं अन्तिम स्थान पर जलपूजा का उल्लेख है। 59 धर्मरत्न करण्डक में आचार्य वर्धमानसूरि ने त्रिविध एवं चतुर्विध पूजा के साथ-साथ अष्टविध पूजा का भी वर्णन किया है। इसमें सुगन्धि पुष्प, गन्ध, धूप, दीप, अक्षत, फल, घृत एवं जल इस क्रम से अष्टप्रकारी पूजा का उल्लेख है। इसी प्रकरण में अष्टपुष्पी पूजा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि मस्तक, हृदय, उदर (पेट), पीठ, दो बाहु और दो पैर इन आठ अंगों पर एक-एक पुष्प चढ़ाना अष्टपुष्पी पूजा कही जाती है। यह पूजा अष्टकर्मों का क्षय करने वाली कही गई है। 60 अष्टपुष्पी पूजा का वर्णन आचार्य हरिभद्रसूरि रचित पूजाष्टक में भी मिलता है । शुद्धिपूर्वक लाए गए जाई आदि आठ प्रकार के पुष्पों को अष्ट कर्मों से मुक्त, गुणसमृद्ध देवाधिदेव को चढ़ाना शुद्ध अष्टपुष्पी पूजा है। पुण्य बंध में हेतुभूत होने से इस पूजा को स्वर्ग साधिनी भी कहा गया है। 61 अन्य परम्पराओं में अष्टांग प्रणिपात को ही अष्टोपचारी पूजा मानी गई है, किन्तु यह पूजा न तो शास्त्रों में देखी जाती है और न ही जिन धर्म में
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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