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________________ पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म......xivil भाग-दौड़ की जिंदगी में स्वाध्याय, शास्त्र निरीक्षण, गुरु भगवन्तों से सम्यक ज्ञानार्जन का समय श्रावक समुदाय के पास नहीं है। प्राचीन काल से अब तक आए परिवर्तन एवं तात्कालीन परिस्थितियों की जानकारी का अभाव भी कई भ्रान्तियों का कारण है। अत: जन समुदाय को प्राचीन एवं अर्वाचीन विधिनियमों से परिचित करवाना आवश्यक है। इस पुस्तक में श्रावक वर्ग को जिनपूजा सम्बन्धी विविध पक्षों से अवगत करवाते हुए तद्विषयक आवश्यक जानकारी संक्षिप्त रूप में देने का लघु प्रयास किया जा रहा है। जिनपूजा सम्बन्धी विविध चरणों को पहली बार जानने पर कोई भी उसे एक जटिल या अति नियमबद्ध प्रक्रिया समझ सकता है। परंतु यदि सम्यक रूप से इस क्रिया को एक या दो बार सम्पन्न किया जाए तो जिनपूजा एक सरल, Best managed एवं आनंददायक क्रिया अनुभूत होगी। कई लोग जिनपूजा के क्रम में अपनी सुविधा अनुसार परिवर्तन करते हैं परन्तु किसी भी क्रिया का एक यथोचित क्रम होने पर उसे करने में आसानी होती है। विविध स्तरों पर उसकी एकरूपता बनी रहती है। इसी कारण जैनाचार्यों ने जिनपूजा का एक सुंदर क्रम निरूपित किया है। इस पुस्तक में दर्शनार्थी एवं पूजार्थी वर्ग की अपेक्षा उस क्रम को अथ से इति तक बताया गया है। __द्रव्य पूजा एवं भावपूजा सम्बन्धी अनेकशः शंकाओं का समाधान करते हुए उन्हें कब, कहाँ, किस रूप में सम्पन्न किया जाए? उन्हें करते हुए क्या भावना की जाए एवं किन सावधानियों को रखा जाए? किस प्रकार अविधि से बचा जाए? आदि विविध पहलुओं का निरूपण इसमें किया गया है। जिनपूजा में प्रयुक्त विविध उपकरणों का संक्षिप्त परिचय एवं उनका ऐतिहासिक विकास क्रम भी बताया गया है। ___आगम युग से अब तक जिनपूजा के अनेक प्रकार देखे जाते हैं। उन सभी का सप्रमाण वर्णन एवं भिन्न-भिन्न कालों में उनका स्वरूप यहाँ बताया गया है। वर्तमान युगीन समस्याओं में जिनपूजा एक आशा की किरण बनकर आतंक, कषाय एवं Tension आदि के घोर अंधकार को दूर कर मैत्री, सम्यक्त्व एवं संतोष के प्रकाश प्रस्फुटित कर सकती है। आज के प्रतिस्पर्धामय युग में जिनपूजा जीवन को संतुलित करने तथा अध्यात्म एवं व्यवहार जगत में
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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