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________________ 386... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... में समर्पित कर दिया जाता है हम उनकी हिंसा से हमेशा के लिए विरत हो जाते हैं। अतः पर्व तिथि के दिन फल आदि का त्याग होने पर भी मंदिर में फल चढ़ा सकते हैं। शंका- जिन प्रतिमा पर लंछन क्यों और कब से? समाधान- जिन प्रतिमाओं पर लंछन अंकित करने का एक मुख्य कारण है उनकी पहचान क्योंकि प्राय: सभी प्रतिमाएँ लंछन के आधार पर ही पहचानी जाती है। जिस प्रतिमा पर जो लंछन होता है वैसा ही लंछन परमात्मा के देह पर था, ऐसा शास्त्रकारों का मानना है। ऐतिहासिक शोधों के अनुसार लगभग चौथी-पाँचवीं शती की प्रतिमाओं पर लंछन नहीं बनाए जाते थे। यह एक परवर्ती परम्परा है। डॉ. सागरमलजी जैन के अनुसार पूर्वकाल में मुख्य रूप से चार प्रतिमाएँ ही बनाई जाती थी। आदिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ और महावीर स्वामी। आदिनाथ भगवान की प्रतिमा के कंधे पर केश दिखाए जाते थे। नेमिनाथ की प्रतिमा के परिकर में कृष्ण और बलराम चित्रित होते थे। पार्श्वनाथ की प्रतिमा में फण होते थे और महावीर स्वामी की प्रतिमा में कोई अन्य चिह्न नहीं होता था। इन्हीं के आधार पर मूर्तियाँ पहचानी जाती थी। 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ पूर्वकाल में इतनी अधिक नहीं बनाई जाती थी। जिस प्रतिमा को जिसका नाम दिया जाए वह उसी रूप में पूज्य बन जाती थी। तदनन्तर प्रतिमाओं की बढ़ती संख्या में उनकी पहचान के लिए लंछन की आकृति बनाई जाने लगी जो कि वर्तमान में भी प्रवर्त्तमान है। शंका- पूजा के वस्त्र कैसे होने चाहिए सूती या रेशमी? __ समाधान- प्राचीन उल्लेखों के अनुसार पूजा के वस्त्र रेशमी होने चाहिए। रेशम को उत्तम कोटि का वस्त्र माना गया है। परमात्म पूजा हेतु उत्तम वस्तुओं का प्रयोग ही करना चाहिए। दूसरा तथ्य यह भी है कि रेशम अशुद्धियों को ग्रहण नहीं करता अत: इससे शुभ भावों की शृंखला अधिक समय तक बनी रहती है। पूजा के लिए अहिंसक रेशम के नाम से प्रसिद्ध मटका सिल्क का प्रयोग करना चाहिए। अधिकांश आचार्य रेशमी वस्त्र पहनने का ही समर्थन करते हैं। सूती वस्त्र की Mercerised करते समय प्राणीज पदार्थों का उपयोग होता है। अत: यथासंभव उनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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