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________________ सात क्षेत्र विषयक विविध पक्षों का समीक्षात्मक अनुशीलन ...349 शंका- ज्ञान भंडार का निर्माण किस द्रव्य से करना चाहिए। समाधान- ज्ञान भंडार का निर्माण श्रावक वर्ग को यथा संभव स्वद्रव्य से करना चाहिए। यद्यपि कारण विशेष उपस्थित होने पर ज्ञान द्रव्य से भी इसका निर्माण किया जा सकता है। परंतु ज्ञान द्रव्य से बने ज्ञान भंडार की जगह साधुसाध्वी या श्रावक-श्राविका निवास नहीं कर सकते तथा वहाँ गोचरी, शयन आदि भी नहीं कर सकते। ___ ज्ञान द्रव्य से खरीदे गए कपाट आदि में मात्र ज्ञान सम्बन्धी सामग्री रख सकते हैं। साधु-साध्वी के उपकरण या पौषध आदि का सामान रखने हेतु उनका उपयोग नहीं हो सकता। यदि श्रावक वर्ग वर्जित ज्ञान भंडारों का उपयोग करते हैं तो उन्हें उचित नकरा भर देना चाहिए। शंका- गुरु द्रव्य किसे कहते हैं और इसके कितने भेद हैं? समाधान- साधु-साध्वी की भक्ति, वैयावच्च आदि के निमित्त अथवा दीक्षा के अवसर पर संयम उपयोगी उपकरण बहराने, गुरु पूजन करने, गुरु महाराज को कम्बली आदि बहराने एवं साधु जीवन सम्बन्धी अन्य चढ़ावों से जो द्रव्य प्राप्त होता है उसे गुरु द्रव्य कहते हैं। गुरु वैयावच्च में प्रयुक्त होने से इसे वैयावच्च द्रव्य भी कहते हैं। कुछ परम्पराओं में गुरु द्रव्य को देवद्रव्य भी माना जाता है तो कुछ परम्पराएँ गुरु द्रव्य को गुरु द्रव्य या वैयावच्च द्रव्य ही मानती है। प्राचीन ग्रन्थों में गुरु द्रव्य को देवद्रव्य माना गया है। जैनाचार्यों ने गुरु द्रव्य के तीन भेद माने हैं- 1. भोगार्ह गुरुद्रव्य 2. पूजार्ह गुरु द्रव्य और 3. लुंछन गुरु द्रव्य। 1. भोगार्ह गुरुद्रव्य- कपड़ा, पातरा, गोचरी, पानी आदि द्रव्य जिसे साधु-साध्वी बोहरकर उपयोग करते हैं, वह द्रव्य या वस्तु भोगार्ह गुरुद्रव्य कहलाती है। इस द्रव्य का उपयोग मात्र भोगार्ह गुरुद्रव्य के रूप में ही किया जा सकता है। 2. पूजार्ह गुरुद्रव्य- जो द्रव्य धन आदि गुरु पूजन के रूप में अथवा गुरु महाराज के समक्ष गहुँली पर रखा जाता है तथा काम्बली ओढ़ाने के चढ़ावें, दीक्षा के समय संयम उपकरण के चढ़ावें, गुरु मूर्ति या चरण की आरती-मंगल दीपक के चढ़ावे, गुरु की पूजा या महापूजन आदि के चढ़ावें, अग्निसंस्कार, गुरु मंदिर निर्माण हेतु भूमिपूजन, शिलान्यास, गुरु चरण प्रतिष्ठा एवं अन्य गुरु
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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