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________________ जिन पूजा विधि की त्रैकालिक आवश्यकता एवं... ...239 सिले हुए या रेडिमेड मुखकोश का प्रयोग किया जा सकता है? वर्तमान में साड़ी आदि के बचे हुए कट पीस आदि से बने हुए रूमाल अधिक प्रचलन में है। परन्तु ऐसे रूमालों का मुखकोश के रूप में प्रयोग करना उचित प्रतीत नहीं होता क्योंकि मुखकोश सिला हुआ होने से उसकी पडिलेहन या निरीक्षण संभव नहीं है। यदि मुड़ी हुई सिलाई के भीतर जीव-जन्तु आदि हो तो उसकी जयणा नहीं हो सकती तथा मुख के धुंक, लार आदि से गीला हो जाए तो उसे सुखाना भी मुश्किल है। इससे सूक्ष्म जीवोत्पत्ति की संभावना भी रहती है। पौषध आदि में कंदोरा बांधा जाता है तब क्या पूजा करते समय कंदोरा बांधना चाहिए या नहीं? ___पौषध आदि में जो कंदोरा बांधा जाता है वहाँ सोने-चाँदी के कंदोरे का नहीं सूती कंदोरे का विधान किया गया है। कंदोरा भेट बांधने का प्रतीक है। योद्धा जब रणभूमि में युद्ध हेतु जाते हैं तब कमर पर भेट (पुट्टा) बाँधकर जाते हैं, जिससे उनका उत्साह एक समान बना रहता है। व्यवहार में भी किसी बड़े या कठिन कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व कहा जाता है कि 'कमर कस लो'। कमर कसना या भेट बांधना यह मर्दानगी का प्रतीक माना जाता है। प्रभु पूजा, पौषध आदि धर्म कार्य में प्रवृत्त होने का तात्पर्य है कर्म शत्रुओं का दमन करने हेतु अग्रसर होना। कर्म शत्रुओं से जूझते हुए प्रवृत्त शुभ क्रिया में निरन्तर उत्साह बना रहे तथा प्रमाद आदि विचलित न कर पाएं इस हेतु से पूजा आदि विशिष्ट कार्यों में जुड़ने से पूर्व कंदोरा बांधने का विधान है। जिनपूजा अनामिका अंगुली से क्यों करनी चाहिए? जिनपूजा हेतु अनामिका अंगुली का जो विधान किया गया है उसके पीछे कई मुख्य कारण रहे हुए हैं। पाँचों अंगुलियों में अनामिका को सर्वश्रेष्ठ अंगुली माना गया है। अंगूठे का प्रयोग किसी को अंगूठा दिखाने, ठगने आदि के लिए होता है तो तर्जनी अंगुली का प्रयोग किसी को दर्शाने या किसी के दोष बताने के लिए होता है। मध्यमा अंगुली का प्रयोग किसी भी श्रेष्ठ कार्य में नहीं होता क्योंकि बीचौला कभी एक पार नहीं पहुंच पाता तथा कनिष्ठिका अंगुली
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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