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________________ 236... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... है। परमात्मा को हृदय में स्थापित करने हेतु अप्रमत्त हृदय पर तिलक किया जाता है। कान अप्रमत्त केन्द्र का स्थान है अत: प्रमाद दशा को हटाने के लिए कान पर तिलक किया जाता है। पुरुषों को बादाम के आकार का बड़ा तिलक करना चाहिए एवं महिलाओं को गोल बिंदी लगानी चाहिए। इससे कामविकारों का शमन होता है। तिलक का ऐतिहासिक महात्म्य- ललाट पर लगा हुआ तिलक जैनों की आन-बान और शान का प्रतीक माना जाता है। ललाट पर लगे हुए तिलक का इतना प्रभाव था कि न्यायालय में तिलकधारी पर कभी अविश्वास नहीं किया जाता था। व्यापार में व्यवहार करते समय कभी भी उनके द्वारा अविश्वास या धोखाधड़ी की कल्पना भी नहीं की जाती थी। श्रावकों ने तिलक की शान रखने के लिए अपने प्राणों तक का बलिदान दे दिया। कापी मंत्री एवं उन्नीस जोड़ों का बलिदान इतिहास में शासन समर्पण एवं तिलक की महिमा को अनुगुंजित करता है। लोक व्यवहार में विविध प्रसंगों पर भिन्न-भिन्न अंगुलियों से तिलक किया जाता है। जैसे रणभूमि की ओर विदा लेते हुए योद्धा को अंगूठे से तिलक करके विदा किया जाता है। श्राद्ध क्रिया के वक्त तर्जनी से वहीं पूजन में मध्यमा अंगुली से. अरिहंत परमात्मा की अनामिका अंगुली से तथा रक्षा बंधन के समय बहन भाई का कनिष्ठिका से तिलक करती है। वर्तमान के युवा वर्ग को तिलक लगाने में संकोच होता है तो कई लोग मन्दिर से बाहर आते ही तिलक पोछ देते हैं तो कुछ लोग इतना छोटा तिलक लगाते हैं कि वह किसी को दिखे नहीं पर यह सब ना समझी है। हम जिस परमात्मा के अनुयायी हैं उनकी पहचान रूप तिलक लगाने में कैसी शर्म। मस्तक पर लगा हुआ तिलक व्यक्ति की आध्यात्मिकता एवं गंभीरता आदि सद्गुणों का सूचक होता है। जिस प्रकार स्त्री के भाल पर लगा हुआ तिलक उसके सुहागन होने का सूचक है। उसी तरह श्रावक के मस्तक पर लगा हुआ तिलक देवाधिदेव तीर्थंकर परमात्मा के स्वामी रूप होने का सूचक है। ऐसे स्वामी का सान्निध्य प्राप्त करने से कभी भी वैधव्य नहीं मिलता। ऐसी ही कई विशेषताओं एवं मूल्यों से युक्त तिलक जैनत्व की मात्र पहचान ही नहीं अपितु जैनत्वपने का निर्माण करता है।
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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