SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 221
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अष्ट प्रकारी पूजा का बहुपक्षीय अनुशीलन ...155 • जिस डिब्बे में मिठाई रखी जाती है उसमें नास्ते के प्लेट में बची हुई मिठाई वापस नहीं डालनी चाहिए न उस डिब्बे से निकालकर बार-बार खानी चाहिए नहीं तो सारे डिब्बे की मिठाई जठी हो जाती है। • जिस काल में जो चीज श्रावक के लिए अभक्ष्य बताई गई है वह वस्तु परमात्मा को भी नहीं चढ़ानी चाहिए। जैसे कि काजू आदि ड्रायफुट की मिठाई फाल्गुन चातुर्मास के बाद नहीं चढ़ानी चाहिए। फल पूजा सम्बन्धी सावधानियाँ • परमात्मा को चढ़ाने हेतु सड़े हुए, गले हुए, दागयुक्त, कच्चे फलों का उपयोग नहीं करना चाहिए। • Coldstorage, Chemicals या इन्जेक्शन आदि से पके हुए फल जहाँ तक संभव हो मन्दिर में नहीं चढ़ाने चाहिए। • बैर, जामुन आदि तुच्छफल, अनजान फल, अंजीर आदि बहुबीज फल श्रावक के न खाने योग्य है और न ही चढ़ाने योग्य। • ताजा फल उपलब्ध न हो तो सूखा मेवा जैसे बादाम आदि चढ़ाने चाहिए, परन्तु एक किसमिस या एक काजू फल के स्थान पर चढ़ाना अनुचित है। • जिस समय जिस फल का Season हो उस समय वही फल चढ़ाने चाहिए। Season का फल जब पहली बार घर में आए तो सर्वप्रथम परमात्मा के दरबार में चढ़ाकर फिर खाना चाहिए। • सबसे छोटा फल या सस्ता फल इन भावों से युक्त होकर कभी भी फल नहीं चढ़ाना चाहिए। ... • फल के स्थान पर पैसे आदि नहीं चढ़ाना चाहिए। चामर पूजा सम्बन्धी सावधानियाँ • चामर पूजा नृत्यमुद्रा में करनी चाहिए। • चामर को जोर-जोर से घुमाना या कूद-कूदकर नहीं बींझना चाहिए। • अत्यन्त विनम्रता, भक्तिभाव, उल्लास एवं विवेक पूर्वक परमात्मा के समक्ष चंवर लेकर नृत्य करना चाहिए। • कई लोग पूजा आदि में चंवर लेकर नृत्य करते हुए परमात्मा को पीठ
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy