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________________ 154... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... • चढ़ाने योग्य चावल इली-लट आदि से युक्त नहीं होने चाहिए। जिस प्रकार घर में पकाने हेतु चावलों को अच्छे से देखा और साफ किया जाता है, जिनमन्दिर में भी वैसे ही चावल ले जाने चाहिए। • स्वस्तिक बनाने की सही विधि सीखनी चाहिए। जैसे तैसे लाइनें बनाकर स्वस्तिक नहीं बनाना चाहिए। • अक्षतपूजा करते समय कम से कम उतने चावलों का प्रयोग तो करना ही चाहिए कि जिससे स्वस्तिक आदि अच्छे से बन सकें सिर्फ नाम भर चावल चढ़ाकर रीत का रायता नहीं करना चाहिए। नैवेद्य पूजा सम्बन्धी सावधानियाँ • नैवेद्य पूजा हेतु प्रयोग की जाने वाली मिठाई श्रेष्ठ द्रव्यों से बनी हुई होनी चाहिए तथा बासी मिठाई आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। • अधिक समय की बनी हुई या खराब हो गई मिठाई परमात्मा के आगे नहीं चढ़ानी चाहिए। • मिठाई के रूप में चॉकलेट, पीपरमेन्ट आदि परमात्मा के आगे नहीं चढ़ाने चाहिए। • नैवेद्य चढ़ाने के बाद उस पर चींटी आदि न आ जाए इस हेतु ऊँचे टेबल पर एक थाली में ही मिठाई रखनी चाहिए। • नैवेद्य को चावलों के साथ न रखकर एक अलग डिब्बी में रखना चाहिए, जिससे उसका टूटकर चूरा न हो जाए। • टूटी हुई मिठाई, चक्की आदि नहीं चढ़ानी चाहिए। • चढ़ाया हुआ नैवेद्य आदि पुजारी ले जाएगा, इन भावों से हल्का द्रव्य नहीं चढ़ाना चाहिए। • नैवेद्य के स्थान पर कभी-कभार अपवाद रूप में पैसा रखा जा सकता है परन्तु नैवेद्य के स्थान पर भंडार में पैसे डालने से भावों में वह उल्लास जागृत ही नहीं होता। • कागज या प्लास्टिक के ऊपर मिठाई नहीं चढ़ानी चाहिए। रसयुक्त मिठाई हो तो उसे कटोरी में रखना चाहिए। • तीर्थों में या पुजारियों के पास कम दाम में मिल रही मिश्री आदि का उपयोग चढ़ाने या खाने में नहीं करना चाहिए।
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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