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________________ अष्ट प्रकारी पूजा का बहुपक्षीय अनुशीलन ...133 गर्भगृह के बाहर रंगमंडप में करनी चाहिए एवं उसकी स्थापना भी बाहर ही करनी चाहिए। गर्भगृह के भीतर दीपक की स्थापना करने से धुएँ आदि के कारण छत पर कालास जम जाती है तथा प्रतिमा पर भी इसके दुष्प्रभाव देखे जाते हैं।10 दीपक पूजा सम्बन्धी आम धारणा • अनेक सम्प्रदायों में अग्नि को दोष निवारक, देवरूप एवं पूज्य माना गया है अत: स्थान आदि की शुद्धि के लिए यज्ञ, हवन, दीपक प्रज्वलन आदि किए जाते हैं। • अग्नि की साक्षी या संयोग से पाप नष्ट होते हैं एवं गृहीत नियम में दृढ़ता रहती है। • यदि देवतागण इस धरती पर आएं तो अग्नि के रूप में वास करते हैं क्योंकि अग्नि कभी अशुद्ध और अपवित्र नहीं होती। • हवा आदि के कारण जलता हुआ दीपक बुझ जाए तो उसे अशुभ माना जाता है। • अखंड दीपक प्रज्वलित रहने से ऐच्छिक कार्य की पूर्ति तथा संघ, परिवार, व्यापार आदि में वृद्धि होती है। दीपक पूजा की विशेषताएँ एवं लाभ • जिनमन्दिर आदि आराधना स्थल जन मानस में भक्तिभाव, श्रद्धा आदि को जाग्रत करने के मुख्य केन्द्र स्थल हैं। दीपक वहाँ पर आत्मज्ञान को जागृत करने की प्रेरणा देता है। .दीपक के प्रकाश में जिनबिम्ब अधिक आकर्षक एवं मनोहारी प्रतीत होता है। इससे भक्त हृदय में उल्लास भाव प्रस्फुटित होते हैं। • कई स्थानों पर दीपक से धुएँ के स्थान पर वासक्षेप या केशर जैसा धुआं भी निकलता हुआ देखा जाता है। • जिस प्रकार दीपक तमस् को मिटाकर उजाला फैलाता है वैसे ही दीपक पूजा करने से आत्मा में ज्ञान रूपी रोशनी प्रकट होती है, जिससे संसार के यथार्थ स्वरूप का ज्ञान हो सकता है। • घृत दीपक से नि:सृत ज्योति विनाशक तत्त्वों के प्रभाव को निष्क्रिय करती है। • भावपूर्वक की गई दीपक पूजा शिवसुख को प्रदान करती है, अरति का हरण करती है तथा मंगल भावों का वर्धन करती है।
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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