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________________ अष्ट प्रकारी पूजा का बहुपक्षीय अनुशीलन ...125 • मंत्र सिद्धि के लिए पाँच लाख पुष्प चढ़ाकर आज भी साधना की जाती है। • वर्तमान में कई श्रद्धालु भक्त परमात्मा की पुष्पों द्वारा इतनी सुंदर अंगरचना करते हैं कि दर्शन करते ही मुख से निकल जाता है फुलडा केरा बागमां, बैठा श्री जिनराज । जिम तारामां चन्द्रमा, तिम सोहे महाराज ।। पुष्पपूजा के सकारात्मक पहलू पुष्पपूजा से मानव का अन्तर्जगत एवं बाह्य जगत दोनों ही लाभान्वित होते हैं। • शास्त्रकारों के अनुसार परमात्मा के चरणों में अर्पित किए जाने वाले पुष्प भव्यता को प्राप्त करते हैं। इनमें से कई पुष्प जिनबिम्ब के साक्षात्कार से बोधिबीज को प्राप्त करते हैं। • पुष्प पूजा से प्रतिमा को किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुँचती। • परमात्म के चरणों में पुष्प समर्पित करने से उन जीवों को अभयदान देने का लाभ मिलता है। • परमात्मा के चरणों में पुष्प समर्पित करने से हृदय में कोमलता, मृदुता एवं सौम्यता का विकास होता है तथा जीवन में सद्गुणों की प्राप्ति होती है। • जिनके प्रभुपूजा का नित्य नियम हो ऐसे लोग जिनप्रतिमा के अभाव में पुष्प में भी जिनबिम्ब की स्थापना कर अपना नियम अखंडित रख सकते हैं। • पुष्पों को देखने मात्र से ही प्रसन्नता की सहज अनुभूति होती है अत: पुष्पपूजा करने वाले का मन आनन्दित होने से उसका पूरा दिन आनन्दमय बीतता है। __ • भावपूर्वक पुष्पपूजा करने से कुमारपाल महाराजा को अठारह देश का आधिपत्य तथा नागकेतु को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी। • अहिंसा, करुणा, जयणा, जीवदया आदि गुणों का विकास पुष्प पूजा के माध्यम से सहजतया हो जाता है। शंका- कई लोग तर्क करते हैं कि पुष्प तो एकेन्द्रिय जीव है फिर जिनपूजा हेतु इसका प्रयोग करने से हिंसा का दोष क्यों नहीं लगता?
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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