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________________ 116... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... चंदन पूजा करने की शास्त्रोक्त विधि चंदन पूजा करने हेतु सर्वप्रथम चंदन को धूप से अधिवासित करें। तत्पश्चात गर्भगृह में प्रवेश करते हुए पुरुष वर्ग परमात्मा की दायीं तरफ Right और महिलाएँ बायीं तरफ Left खड़ी रहें। फिर चंदन पूजा हेतु शुभ भाव जागृत करें। उसके पश्चात दोहे बोलते हुए अनामिका अंगुली से परमात्मा के नौ अंगों की पूजा करें। नवअंग पूजा की विस्तृत विधि इसी अध्याय के प्रारंभ में बता चुके हैं। शंका- अनामिका अंगुली से ही परमात्मा की पूजा क्यों करनी चाहिए ? समाधान- अनामिका अंगुली की विशेषता बताते हुए विचारकों का कहना है कि इस अंगुली में संवेदनशीलता एवं वाहकता अन्य अंगुलियों की अपेक्षा अधिक होती है। इसके संपर्क में आने वाली वस्तुओं से इसका संबंध (connection) अतिशीघ्र जुड़ जाता है । इस अंगुली का सम्बन्ध सीधा हृदय से है अतः इसके माध्यम से संप्रेषित भाव सीधे हृदय तक पहुँचते हैं। इससे हृदय एवं भावों का शुद्धिकरण होता है। अन्य अंगुलियों की तुलना में अनामिका को अधिक श्रेष्ठ माना गया है। इसका उपयोग भी अधिकांश श्रेष्ठ कार्यों हेतु ही होता है। सगाई की अंगूठी भी अनामिका अंगुली में ही पहनाई जाती है ताकि दोनों दंपत्तियों का सम्बन्ध हृदय से स्थापित हो सके। यही वजह है कि अनामिका अंगुली से पूजा करने पर भक्त और भगवान के हृदय के तार जुड़ जाते हैं। पूर्वकाल में विलेपन पूजा केवल चरणों की ही होती थी जो कि बढ़तेबढ़ते पूर्ण अंग पर विलेपन करने तक पहुँच गई। तदनन्तर व्यवस्था की अपेक्षा से नौ अंगों की पूजा का विधान किया गया जो अद्यतन प्रचलित है। शंका- कुछ लोग कहते हैं कि परमात्मा के चरण या ललाट पर तिलक करने से भी पूजा हो सकती है तो फिर नौ अंग की पूजा क्यों ? समाधान– सामान्यतया चरण या ललाट पर तिलक करने से पूजा हो जाती है क्योंकि अतिथियों के चरण स्पर्श एवं तिलक करने से उनका उचित सम्मान हो जाता है। विशेष परिस्थितियों में अथवा तीर्थस्थलों पर केवल चरण पूजा ही करवाई जाती है। परंतु श्रुतधर आचार्यों ने परमात्मा के नौ अंग की पूजा करने का विधान किया है। अतः जीत व्यवहार का पालन करते हुए श्रावकों को
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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