SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 154
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 88... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... न्हवण जल लगाने की विधि • मन्दिर के प्रवेश द्वार के पास परमात्मा की दृष्टि न पड़े ऐसे सुयोग्य स्थान पर न्हवण जल रखना चाहिए। • न्हवण जल को एक कटोरे में ढक्कन लगाकर रखना चाहिए। • यदि न्हवण जल रखने का पात्र छोटा हो तो उसे एक छोटी थाली में रखना चाहिए। न्हवण जल लगाते समय, वह नीचे न गिरे इसकी पूर्ण सावधानी रखनी चाहिए। • अहोभावपूर्वक दो अंगुलियों में न्हवण जल लेते हुए अनुक्रम से नाभि के ऊपर के एक-एक अंग पर लगाना चाहिए। आँखों पर न्हवण जल लगाते हुए दोषदृष्टि एवं कामविकार दूर करने की भावना, कानों पर लगाते हुए दोष श्रवण एवं स्वगुण श्रवण की कमी को दूर करने की भावना, कंठ पर लगाते हुए कल्याणकारी वाणी प्राप्त करने एवं परपीड़ा कारक वाणी को छोड़ने के भाव, हृदय पर न्हवण जल लगाते हु सर्व जीवों के प्रति मैत्री का विस्तार भाव एवं प्रभु आज्ञा का हृदय में वास हो यह भाव तथा नाभि पर लगाते हुए आंतरिक शक्ति के जागरण के भाव करने चाहिए। • नाभि से नीचे के अंग पर न्हवण जल नहीं लगाना चाहिए। चबूतरे पर बैठने की विधि • मन्दिर विधि पूर्ण होने के बाद शुभ भावों के स्थिरीकरण के लिए कुछ समय मन्दिर के बाहर बैठना चाहिए । • भगवान एवं मन्दिर की ओर पीठ न हो, इस प्रकार बैठना चाहिए। • बीच रास्ते में या सीढ़ियों पर नहीं बैठना चाहिए। • मौनपूर्वक आँखें बंद करके तीन नवकार गिनना एवं हृदय में परमात्मा के दर्शन करना चाहिए। • मेरी विवशता है कि मुझे प्रभु का दरबार छोड़कर जाना पड़ रहा है। इन भावों से युक्त होकर उठना चाहिए। समाहार रूप में कहा जा सकता है कि जिनपूजा एक आत्म कल्याणकारी अनुष्ठान है। प्रत्येक जीव का अन्तिम लक्ष्य स्व-स्वरूप की प्राप्ति है। जिन प्रतिमा लक्ष्य प्राप्ति का मुख्य आलम्बन है। आलंबन का यथोचित सम्मान, गुणगान एवं विधिपूर्वक उसकी आराधना लक्ष्य प्राप्ति में सहायक बनती है।
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy