SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 148
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 82... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... • धूप पूजा हेतु धूप सामग्री यथासंभव अपने घर से लानी चाहिए। यदि मंदिर का धूप प्रयोग कर रहें हो और धूप जल रहा हो तो नया धूप नहीं जलाना चाहिए। • धूप पूजा परमात्मा के बायीं तरफ खड़े रहकर करनी चाहिए । • धूप चढ़ाना अग्र पूजा है। यह पूजा परमात्मा के मूल गर्भगृह के बाहर खड़े रहकर करनी चाहिए। इसमें कम से कम साढ़े तीन हाथ का अवग्रह (दूरी) अवश्य रखना चाहिए। · धूपदानी में धूप रखकर उसे गोल-गोल घुमाना नहीं चाहिए। उसे हृदय के पास स्थिर रखकर धूप पूजा का दोहा बोलना चाहिए । • चाहिए। अंगपूजा पूर्ण होने के बाद ही धूप पूजा करनी चाहिए । अंगपूजा करते हुए धूप आदि को साथ लेकर मूल गर्भगृह में नहीं जाना · धूपबत्ती को जलाने से पूर्व उसे घी में नहीं डुबाना चाहिए और फूंक देकर धूप को बुझाना भी नहीं चाहिए । दीपक पूजा की विधि • दीपक पूजा के लिए गाय के शुद्ध घी का उपयोग करना चाहिए । • दीपक पूजा मूल गर्भगृह के बाहर परमात्मा के दायीं तरफ खड़े रहकर करना चाहिए। • दीपक को थाली या फाणस में रखकर ही प्रज्वलित करना चाहिए। • जिनमंदिर में प्रज्वलित सभी दीपक चारों तरफ से ढंके हुए हों, इसकी पूरी जयणा रखनी चाहिए। दीपक को नाभि से ऊपर एवं नासिका से नीचे रखना चाहिए। • पुरुषों को आरती और मंगल दीपक करते समय सिर पर साफा या टोपी एवं कंधे पर खेस रखना चाहिए तथा महिलाओं को सिर ढंकना चाहिए। • यथासंभव सभी को अपने घर से दीपक साथ में लाना चाहिए ताकि स्वद्रव्य से परमात्मा की दीपक पूजा की जा सके। नृत्यपूजा (चामर बुलाने) की विधि • परमात्मा के समक्ष दासत्व भाव की अभिव्यक्ति एवं परमात्मदर्शन से प्राप्त आनंद की अभिव्यक्ति करने हेतु नृत्यपूजा के रूप में चामर पूजा की जाती है।
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy