SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 147
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जिनपूजा - एक क्रमिक एवं वैज्ञानिक अनुष्ठान स्थान ... 81 • पुष्पों को सोने, चाँदी या पीतल की छाब में रखना चाहिए । • पूजा हेतु पुष्पों को एक थाली में लेकर एवं धूप से अधिवासित करके फिर मूल गर्भगृह में लेकर जाना चाहिए। • पुष्पमाला बनाने हेतु फूलों को सूई से बिंधना नहीं चाहिए। हाथों से गूंथकर पुष्पमाला बनानी चाहिए। फूलों को दोनों हाथों में लेकर फिर परमात्मा के चरणों में चढ़ाना चाहिए। • पुष्प इस प्रकार चढ़ाना कि पूजा करने वालों को दिक्कत न हो। • चढ़ाए हुए पुष्पों को एक बार उतारने के बाद पुनः प्रतिमाजी पर नहीं चढ़ाना चाहिए। यदि आंगी रचानी हो तो पुष्पों को एक थाली में एकत्रित कर तुरंत उनका उपयोग करना चाहिए। पूरा दिन एकत्रित कर फिर उसमें से छांटछांटकर नहीं चढ़ा सकते। • प्रतिमा पूरी ढंक जाए इस प्रकार पुष्पों को नहीं चढ़ाना चाहिए। • फूलों को प्लास्टिक की डब्बी, Polythene, कागज या पूजा पेटी में नहीं रखना चाहिए। • फूलों की पंखुड़ियाँ तोड़कर नहीं चढ़ानी चाहिए। • पुष्पों को सूंघ - सूंघकर नहीं चढ़ाने चाहिए। • मन्दिर में रखे हुए पुष्पों का उपयोग गृह मन्दिर के लिए नहीं करना चाहिए। • यदि चढ़ाने हेतु पुष्प उपलब्ध नहीं हो तो सोने अथवा चाँदी के पुष्प चढ़ा सकते हैं। • पुष्पों को पानी में भिंगाकर नहीं रखना चाहिए। इससे उनमें जीवोत्पत्ति की संभावना रहती है। धूप पूजा की विधि • धूप पूजा करने हेतु मालती, केशर, चंदन, गुलाब आदि सुगंधित द्रव्यों से युक्त धूप ही परमात्मा के समक्ष रखना चाहिए। · सुगंध रहित अथवा अतिगंध युक्त धूप जिससे अन्य दर्शनार्थियों को परेशानी हो ऐसा धूप प्रयोग में नहीं लेना चाहिए। इसी प्रकार लकड़ी वाली अगरबत्ती का प्रयोग भी जिनपूजा में नहीं करना चाहिए ।
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy