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________________ जिनपूजा - एक क्रमिक एवं वैज्ञानिक अनुष्ठान स्थान ... 71 • चंदन रस को कटोरी में लेते समय एवं घिसते समय पसीना उसमें न गिरे इसका पूर्ण ध्यान रखना चाहिए तथा केशर नाखून में नहीं जाए इसका भी पूर्ण विवेक रखना चाहिए। • चंदन घिसते समय किसी से बातचीत नहीं करनी चाहिए । • परमात्म भक्ति के अतिरिक्त किसी भी सांसारिक कार्य के लिए अथवा शारीरिक रोग उपशान्ति के लिए चंदन घिसने पर देवद्रव्य के सेवन का दोष लगता है। • तिलक लगाने की केशर यदि अलग से कटोरी में रखी हुई न हो तो श्रावक को दो कटोरी में घिसा हुआ चंदन लेना चाहिए। एक तिलक लगाने के लिए और दूसरी परमात्म पूजा के लिए | • केसर आदि का उपयोग मौसम के अनुसार यथोचित मात्रा में करना चाहिए। तिलक करने की विधि • प्राचीन परम्परा के अनुसार चंदन घिसने के बाद गृहस्थ को चौकी आदि पर पद्मासन मुद्रा में बैठकर दर्पण के सामने तिलक लगाना चाहिए। वर्तमान में खड़े रहकर तिलक लगाने की विधि ही प्रचलित है। • तिलक लगाने के स्थान पर परमात्मा की दृष्टि न पड़े इसका पूर्ण विवेक रखना चाहिए। · पुरुषों को ललाट, दोनों कान, कंठ, हृदय और नाभि पाँच अंगों पर तिलक लगाना चाहिए और महिलाओं को ललाट, कान और कंठ पर। पुरुषों को ललाट पर बादाम या जलती हुई दीपशिखा के आकार वाला तथा महिलाओं को सौभाग्य सूचक गोल बिंदी के आकार का तिलक लगाना चाहिए। • परमात्मा की आज्ञा को शिरोधार्य कर रहा हूँ इन भावों से मस्तक पर तिलक करना चाहिए । • कुछे आचार्यों के अनुसार तिलक करने से पूर्व 'ॐ आँ ह्रीँ क्लैं अर्हते नम:' इस मन्त्र का सात बार स्मरण करते हुए केशर को मन्त्रित करना चाहिए।
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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