SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 124
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 58... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... • यदि स्थान संकरा हो और महिलाएँ प्रदक्षिणा दे रही हों तो पुरुषों को नहीं जाना चाहिए। • प्रदक्षिणा देते हुए श्रावक को मंदिर का निरीक्षण भी करना चाहिए। जाले आदि लगे हों या कोई मृत जीव का कलेवर आदि पड़ा हो तो उसे दूर करके फिर पूजा करनी चाहिए। • सामूहिक प्रदक्षिणा देते समय संघ प्रमुख, मुखिया श्रावक या ज्येष्ठ व्यक्ति को आगे रखना चाहिए। • चैत्यवंदन महाभाष्य के अनुसार प्रदक्षिणा देते समय दोहा बोलने में कोई दोष नहीं है। उस समय दृष्टि नीचे जमीन पर रखनी चाहिए, जिससे जीव हिंसा नहीं हो। • प्रदक्षिणा देते समय पूजा की सामग्री हाथ में लेकर चलना चाहिए। 3. प्रणाम त्रिक प्रणाम अर्थात नमस्कार करना, वंदन करना आदि। जिनेश्वर परमात्मा को भावपूर्वक नमन करना प्रणाम कहलाता है। चैत्यवंदन भाष्य में तीन प्रकार के प्रणाम बताए गए हैं- 1. अंजलिबद्ध प्रणाम 2. अर्धावनत प्रणाम और 3. पंचांग प्रणिपात।10 1. अंजलिबद्ध प्रणाम- जिनालय के मुख्य द्वार पर परमात्मा का प्रथम दर्शन होते ही दोनों हाथ जोड़कर एवं उन्हें मस्तक पर लगाते हुए "नमो जिणाणं" कहना अंजलिबद्ध प्रणाम कहलाता है। जिनालय की ध्वजा अथवा शिखर दिखने पर एवं परमात्मा के प्रथम दर्शन होने पर यह प्रणाम किया जाता है। 2. अर्धावनत प्रणाम- अर्ध अवनत अर्थात आधा झुककर प्रणाम करना अर्धावनत प्रणाम कहलाता है। परमात्मा के गर्भगृह के पास पहुँचकर कमर तक शरीर झुकाते हुए दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करना अर्धावनत प्रणाम है। परमात्मा के गर्भद्वार के समक्ष पहुँचने पर यह प्रणाम किया जाता है। तदनन्तर परमात्मा की स्तुति आदि बोली जाती है। ___4. पंचांग प्रणिपात- दो हाथ, दो घुटने और मस्तक इन पाँच अंगों को एक साथ झुकाते हुए प्रणाम करना पंचांग प्रणिपात कहलाता है। इसे खमासमण भी कहते हैं। चैत्यवंदन करने से पूर्व तीन बार पंचांग प्रणिपात पूर्वक वंदन किया
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy