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________________ जिनपूजा - एक क्रमिक एवं वैज्ञानिक अनुष्ठान स्थान ...57 शंका- प्रदक्षिणा दायीं से बायीं तरफ ही क्यों दी जाए? समाधान- लोक व्यवहार में उत्तम पदार्थों को दाहिनी तरफ रखने का, दाहिने हाथ से श्रेष्ठ एवं मंगल कार्य करने का विधान है। रुपयों का लेन-देन, पाणिग्रहण, आशीर्वाद आदि प्रमुख कार्य दाहिने हाथ से ही किए जाते हैं। दाएँ से बाएँ यह सृष्टिक्रम है। देवाधिदेव वीतराग परमात्मा को विश्व में सर्वोत्कृष्ट माना जाता है अत: दायीं से बायीं ओर प्रदक्षिणा दी जाती है। शंका- प्रश्न हो सकता है कि परमात्मा को प्रदक्षिणा क्यों दी जाती है? इसके कुछ तथ्य निम्न प्रकार से दृष्टव्य है समाधान- • यह जीव अनादिकाल से संसार में परिभ्रमण कर रहा है। संसार के इस परिभ्रमण को मिटाने के लिए परमात्मा के चारो ओर प्रदक्षिणा दी जाती है। • सांसारिक भवभ्रमण को मिटाने की ताकत दर्शन, ज्ञान, चारित्र रूप रत्नत्रयी में ही है। अतः उनकी प्राप्ति हेतु भी तीन प्रदक्षिणा दी जाती है। • परमात्मा को केन्द्र में रखकर प्रदक्षिणा देने से एक चुंबकीय वर्तल (Magnetic Field) निर्मित होता है। इससे उत्पन्न विद्यत तरंगें हमारे भीतर की कार्मण वर्गणा को छिन्न-भिन्न कर आत्मा की ऊर्जा को जागृत करती हैं। • जिनमंदिर की तीन दिशाओं में मंगलमूर्ति की स्थापना की जाती है। प्रदक्षिणा देते समय चारो ओर परमात्मा के दर्शन करते हुए समवसरण की कल्पना कर साक्षात भाव तीर्थंकर के दर्शन किए जाते हैं। • परमात्मा की प्रदक्षिणा देने से 100 वर्ष के उपवास जितना फल प्राप्त होता है। • जिनेश्वर परमात्मा की प्रदक्षिणा देते समय श्रावकों को निम्न मर्यादाओं का अवश्य पालन करना चाहिए। • प्रदक्षिणा देने के स्थान में प्राकृतिक प्रकाश आ सके इस बात को ध्यान में रखकर जिनालय निर्माण करवाना चाहिए। ऐसी व्यवस्था होने पर जीव हिंसा एवं अनुचित आचरण की संभावना नहीं रहती। • जहाँ पर प्रकाश आने की संभावना न हो वहाँ पर दीपक आदि से प्रकाश करना चाहिए।
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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