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________________ 42... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... जिनपूजा का निषेध किया जाता है। इसी के साथ जिनपूजा के लिए जा रहा व्यक्ति यदि गंदा हो या मलिन वस्त्रों से युक्त हो तो अन्य लोगों के मन में उसे देखकर हीन भाव उत्पन्न हो सकते हैं, इससे जिनशासन की हिलना होती है। अतः पूजा करने वालों को इस नियम का अवश्य ध्यान रखना चाहिए । अंगशुद्धि हेतु स्नानविधि बताते हुए शास्त्रकार भगवंत कहते हैं • पूजा हेतु श्रावक Swimming Pool, Bath tub, Shower, नल आदि के नीचे स्नान न करें। स्नान के लिए कुआं, तालाब, हैंडपंप आदि का शुद्ध जल छानकर प्रयोग में लेना चाहिए । सुविधा हो तो बाथरूम की अपेक्षा छत आदि खुले स्थान में स्नान करना चाहिए जिससे पानी नाली आदि में न जाए। • बाथरूम में नहाना हो तो परात में नहाकर पानी को छत, रोड आदि पर परठना चाहिए क्योंकि नाली में पानी जाने से असंख्य समूर्च्छिम जीवों की उत्पत्ति प्रतिक्षण होती रहती है। अतः नाली में पानी न जाए इसकी पूर्ण सावधानी रखनी चाहिए। • • स्नान करते समय पूर्व दिशा की तरफ मुख करके प्रमाणोपेत जल एवं शुद्ध द्रव्यों से निर्मित साबुन आदि द्वारा शुद्धि करनी चाहिए । • Shampoo, Conditioner चर्बीयुक्त साबुन आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। • स्नान करते हुए मौन रहना चाहिए, फिल्मी गाने गुनगुनाते हुए नहीं नहाना चाहिए। • कम से कम एक वस्त्र पहनकर नहाना चाहिए । • भोजन करने के बाद, बाहर से आने के बाद, अलंकार आदि पहनकर बाथरूम की समस्त खिड़कियाँ आदि बंद करके अथवा पूर्ण नग्न होकर कदापि नहीं नहाना चाहिए। • गरम एवं ठंडे पानी का मिश्रण करके नहीं नहाना चाहिए । • उल्टी होने के बाद, कुस्वप्न आने के बाद, हजामत करने के बाद, मैथुन सेवन करने के बाद, श्मशान से आने के बाद अवश्य नहाना चाहिए। सूर्योदय से पूर्व या सूर्यास्त के बाद नहीं नहाना चाहिए । जैनाचार्यों ने अंगशुद्धि के अंतर्गत मुखशुद्धि का नियम भी बनाया है। यहाँ •
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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