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________________ जैन एवं इतर साहित्य में प्रतिपादित प्रायश्चित्त विधियाँ...143 अनागत निमित्त सम्बन्धी आहार ग्रहण करने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • कर्मोद्देशिक का आदिम भेद उद्देश सम्बन्धी, मिश्रजात का प्रथम भेद यावदर्थिक सम्बन्धी, धात्रीपिण्ड-दृतीपिण्ड सम्बन्धी, अतीत निमित्त सम्बन्धी, आजीवकपिण्ड सम्बन्धी, वनीपकपिण्ड सम्बन्धी, बादर चिकित्सा सम्बन्धी, क्रोधपिण्ड सम्बन्धी, मानपिण्ड सम्बन्धी, सम्बन्धीसंस्तव करण सम्बन्धी, विद्यापिण्ड-मन्त्रपिण्ड-चूर्णपिण्ड-योगपिण्ड सम्बन्धी, प्रयास प्रादुष्करण सम्बन्धी, दो प्रकार के द्रव्यक्रीत और आत्म भावक्रीत सम्बन्धी, लौकिक प्रामित्य सम्बन्धी, लौकिक परिवर्तित सम्बन्धी, निप्रत्यवाद परग्राम अभिहत् सम्बन्धी, पिहित उद्भिन्न-कपाट उद्भिन्न सम्बन्धी, उत्कृष्ट मालापहृत सम्बन्धी, आच्छेद्य सम्बन्धी, अनिसृष्ट सम्बन्धी, पुर:कर्म और पश्चात् कर्म सम्बन्धी आहार ग्रहण करने पर, गर्हित म्रक्षिप्त एवं संसिक्त म्रक्षिप्त सम्बन्धी, निक्षिप्तपिहित-संहृत-उन्मिश्र-अपरिणत एवं छर्दित एषणा सम्बन्धी आहार में प्रत्येक वनस्पति का अनन्तर से दोष लगने पर, बाल-वृद्ध-दुष्ट आदि दायकों से आहार आदि ग्रहण करने पर, प्रमाणोपेत आहार का उल्लंघन करने पर, आहार अथवा दाता की निन्दा करते हुए भोजन करने पर तथा अकारण भोजन करने पर आयंबिल का प्रायश्चित्त आता है। • अध्यवपूरक के अन्तिम दो भेद- साधु एवं पाखंडीमिश्र सम्बन्धी, कृत औद्देशिक के चार भेद- उद्देश-समुद्देश-आदेश एवं समादेश सम्बन्धी, भक्तपान पूतिकर्म सम्बन्धी, मायापिण्ड सम्बन्धी आहार ग्रहण करने पर, निक्षिप्त-पिहितसंहृत उन्मिश्र अपरिणत एवं छर्दित दोष सम्बन्धी आहार में मिश्र अनन्तकाय वस्तु का अनन्तर से दोष लगने पर एकासना का प्रायश्चित्त आता है। • ओघ औद्देशिक सम्बन्धी, उद्दिष्ट के चार भेद- उद्देस, समुद्देस, आदेश, समादेश सम्बन्धी, उपकरण पूतिकर्म सम्बन्धी, चिरस्थापना सम्बन्धी, प्रकटीकरण प्रादुष्करण सम्बन्धी, लोकोत्तर परिवर्तित सम्बन्धी, लोकोत्तर प्रामित्य सम्बन्धी, परभावक्रीत सम्बन्धी, स्वग्राम अभिहत सम्बन्धी, दर्दुर उद्भिन्न सम्बन्धी, जघन्य मालापहृत सम्बन्धी, यावदर्थिक अध्यवपूरक सम्बन्धी, सूक्ष्मचिकित्सा सम्बन्धी, गुणसंस्तवकरण सम्बन्धी, कीचड़-सचित्त नमकसचित्त खड़ी मिट्टी-सफेद मिट्टी युक्त पृथ्वीकाय म्रक्षिप्त सम्बन्धी, स्पृष्ट-कक्कुस
SR No.006247
Book TitlePrayaschitt Vidhi Ka Shastriya Sarvekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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