SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 61
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन मुनि की आचार संहिता का सर्वाङ्गीण अध्ययन...lix अध्याय-10: संस्तारक ग्रहण सम्बन्धी विधि-नियम 262-274 1. संस्तारक का अर्थ विचार 2. संस्तारक के प्रकार 3. शय्या कल्पिक के प्रकार 4. शय्या-संस्तारक का परिमाण 5. शय्या संस्तारक की ग्रहण विधि 6. संस्तारक गवेषणा का काल 7. संस्तारक ग्रहण का विधान वैकल्पिक भी 8. संस्तारक ग्रहण किस क्रम से करें? 9. संस्तारक ग्रहण की आपवादिक विधि 10. संस्तारक सम्बन्धी कतिपय निर्देश 11. संस्तारक प्रत्यर्पण विधि 12. संस्तारक ग्रहण के प्रयोजन 13. उपसंहार। अध्याय-11: शय्यातर सम्बन्धी विधि-नियम 275-288 __ 1. शय्यातर शब्द की अर्थ मीमांसा 2. शय्यातर के प्रकार 3. वसतिदाता शय्यातर-अशय्यातर कब और कैसे? 4. शय्यातर के अन्य विकल्प 5. शय्यातर पिण्ड के प्रकार 6. शय्यातर की अवधि कब तक? 7. शय्यातर पिण्ड ग्रहण के अपवाद 8. शय्यातर पिण्ड ग्रहण सम्बन्धी निर्देश 9. शय्यातरपिंड निषेध के कारण 10. आधुनिक सन्दर्भ में शय्यातर विधि की उपयोगिता 11. उपसंहार। अध्याय-12: वर्षावास सम्बन्धी विधि-नियम 289-310 1. वर्षावास के विभिन्न अर्थ 2. वर्षावास के समानार्थी 3. वर्षावास की स्थापना कब और कैसे? 4. वर्षावास : एक शास्त्रीय चिन्तन 5. वर्षावास में स्थापना किसकी? 6. वर्षावास में विहार करने के कारण 7. वर्षावास में विहार न करने के प्रयोजन 8. वर्षावास के शास्त्रोक्त नियम 9. वर्षावास का समय 10. वर्षावास हेतु स्थान कैसा हो? 11. आधुनिक परिप्रेक्ष्य में वर्षावास की प्रासंगिकता 12. वर्षायोग धारण-समापन विधि 13. तुलनात्मक अध्ययन 14. उपसंहार। अध्याय-13: विहारचर्या सम्बन्धी विधि-नियम 311-341 1. विहारचर्या का अर्थ निर्वचन 2. विहार के प्रकार 3. पाद विहारी मुनि के प्रकार 4. विहार के अन्य प्रकार 5. विहार की आवश्यकता क्यों? 6. विहारचर्या से लाभ 7. विविध सन्दर्भो में विहारचर्या की प्रासंगिकता 8. विहारचर्या की ऐतिहासिक अवधारणा 9. विहार योग्य मुनि के लक्षण 10. एकल विहारी के योग्य कौन? 11. विहार हेतु शुभ-मुहूर्त का विचार 12. विहार की आगमिक विधि 12. विहार में गीतार्थ मुनि के कर्त्तव्य
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy