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________________ Iviii... जैन मुनि की आचार संहिता का सर्वाङ्गीण अध्ययन की प्रतिलेखना उत्कटासन में क्यों नहीं ? • पात्र के बाहर के तलिये का प्रमार्जन क्यों ? • वस्त्र प्रतिलेखना उत्कटासन में ही क्यों ? 12. प्रतिलेखना यन्त्र • प्राचीन परम्परानुसार प्रभातकालीन वस्त्र प्रतिलेखना यन्त्र • प्रचलित परम्परानुसार प्रभातकालीन वस्त्र प्रतिलेखना यन्त्र • प्राचीन परम्परानुसार पात्रोपकरण प्रतिलेखना यन्त्र • प्रचलित परम्परानुसार पात्रोपकरण प्रतिलेखना यन्त्र • प्राचीन परम्परानुसार सायंकालीन प्रतिलेखना यन्त्र 13. उपसंहार | अध्याय-7 : वस्त्र ग्रहण सम्बन्धी विधि-नियम 215-226 1. वस्त्र ग्रहण की शास्त्रोक्त विधि 2. पूछताछपूर्वक वस्त्र ग्रहण क्यों? 3. वस्त्र ग्रहण कब ? 4. वस्त्र ग्रहण किस क्रम से करें ? 5. वस्त्र की संख्या एवं उसका परिमाण क्या हो ? 6. वस्त्र के प्रकार 7. कौनसा वस्त्र कल्प्य - अकल्प्य ? 8. मुनि वस्त्र धारण क्यों करें ? 9. वस्त्र प्राप्ति की विधि 10. वस्त्र ग्रहण किससे किया जाए? 11. वस्त्र उपयोग विधि 12 वर्तमान सन्दर्भ में वस्त्र ग्रहण विधि की उपादेयता 13. तुलनात्मक अध्ययन एवं उपसंहार । अध्याय - 8 : पात्र ग्रहण सम्बन्धी विधि-नियम 227-239 1. पात्र के प्रकार 2. पात्र ग्रहण की शास्त्रीय विधि 3. किसके लिए कितने पात्रों का विधान ? 4. बहुमूल्य वस्त्र - पात्रादि का निषेध क्यों? 5. पात्र की गवेषणा (खोज) हेतु क्षेत्रगमन मर्यादा 6. योग्य-अयोग्य पात्रों को पहचानने की रीति ? 7. पात्र ग्रहण एवं पात्र धारण सम्बन्धी नियम 8. पात्र रंगने की विधि 9. विविध सन्दर्भों में पात्र रखने की उपयोगिता 10. तुलनात्मक अध्ययन एवं उपसंहार । अध्याय - 9 : वसति (आवास) सम्बन्धी विधि- नियम 240-261 1. वसति शब्द का प्रचलित अर्थ 2. मुनियों के लिए कौनसे स्थान वर्जित और क्यों? 3. मुनियों के लिए निषिद्ध अन्य स्थान 4. किन स्थितियों में शुद्ध वसति भी अशुद्ध ? 5. कौनसी वसति किस कारण से दूषित ? 6. वसति के प्रकार 7. निषिद्ध वसति में किन दोषों की सम्भावनाएँ ? 8. आधुनिक सन्दर्भों में शुद्ध वसति की प्रासंगिकता 9. वसति प्रवेश एवं बहिर्गमन विधि 10 तुलना एवं उपसंहार ।
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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