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________________ स्थंडिल गमन सम्बन्धी विधि-नियम...363 को एक स्वयं का और एक संघाटक का ऐसे दो पात्र दें। फिर तीन जनों की शुद्धि हो सके, उतना पानी मात्रक में लेकर दो-दो साधु स्थंडिल के लिए जायें। उनमें से एक साधु दोनों के पात्रों की रक्षा करे और दूसरा-दूसरे साधु के साथ स्थंडिल जायें। सभी साधु स्थंडिल से आ जायें, तब जो शेष रहे हों, वे स्थंडिल के लिए प्रस्थान करें और जो साधु काल संज्ञा से निवृत्त होकर आये हैं, वे पात्रों की सुरक्षा करें। स्थंडिल भूमि से आने के पश्चात मात्रक को तीन कल्प (तीन बार शुद्ध विधि) से धोयें।35 स्थंडिल गमन विधि विधिमार्गप्रपा एवं पंचवस्तुक के आधार पर स्थंडिल गमन की विधि इस प्रकार है-36 उत्सर्ग विधि-जिस मुनि को स्थंडिल के लिए जाना हो, वे 'निसीहि' शब्द के उच्चारणपूर्वक वसति से बाहर निकलें। फिर ईर्या समिति का शोधन करते हुए स्थंडिल भूमि तक पहुँचें। वे मार्ग में समश्रेणी (बराबर) में न चलें, शीघ्र गति से न चलें, विकथा करते हुए न चलें। स्थंडिल भूमि के निकट पहुँचने के बाद सर्वप्रथम 'अनापात-असंलोक' गुण वाली स्थंडिल भूमि में जायें, यदि पूर्वोक्त गुणवाली भूमि न मिले तो दूसरी भूमि में जायें। अपवाद विधि-आचार्य हरिभद्रसूरि ने मल विसर्जन हेतु आपवादिक भूमियों का निर्देशन करते हुए कहा है37- यदि 'अनापात असंलोक' गुणवाली भूमि न मिले तो अमनोज्ञ संविग्न आपातवाली भूमि में जायें। यदि वह भूमि अनुपलब्ध हो तो असंविग्न आपातवाली भूमि में जायें। यदि वह भूमि भी न मिल पायें तो जहाँ केवल गृहस्थ दिखाई देते हों उस भूमि में जायें। इन तीन प्रकार की भूमियों में मलोत्सर्ग करने पर अग्रलिखित विधि करनी चाहिए1. प्रत्येक साधु को पृथक-पृथक मात्रक रखने चाहिए 2. अपान और पाँवों का प्रक्षालन करना चाहिए और 3. पानी अधिक लेकर जाना चाहिए। ____ जहाँ गृहस्थ दिखाई दे उस प्रकार की भूमि न मिले तो अशौचवादी पुरुष आपातवाली भूमि में जायें, यदि यह भूमि न मिले तो शौचवादी पुरुष आपातवाली भूमि में जायें। इसके अभाव में स्त्री-नपुंसक दिखाई दें उस (संलोक वाली) भूमि में जायें। उक्त दोनों प्रकार की भूमियों में मलोत्सर्ग करने पर इन नियमों का ध्यान रखना चाहिए- 1. उल्टामुख करके बैठे 2. अपान एवं पाँवों
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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