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________________ प्रतिलेखना एवं प्रमार्जना सम्बन्धी विधि-नियम...209 सन्दर्भ-सूची 1. पाइअसद्दमहणवो, पृ. 523 2. आभोगमग्गण गवेसणा य, ईहा अपोह पडिलेहा । पेक्खण निरिक्खणावि य, आलोयपलोयणेगट्ठा । ___ ओघनियुक्ति, गा. 3 3. उवगरण वत्थपत्ते, वत्थे पडिलेहणं तु वुच्छामि । पुव्वण्हे अवरण्हे, मुहपत्तिअमाइपडिलेहा । पंचवस्तुक, गा. 232 4. मुहपत्ति रयहरणं, दुन्नि निसज्जय चोल कप्पतिगं। संथारूत्तर पट्टो, दस पेहाणुग्गए सूरे ॥ यतिदिनचर्या, गा. 60, पृ. 68 5. (क) निशीथचूर्णि, उद्धृत धर्मसंग्रह, भा. 3, पृ. 69 (ख) बृहत्कल्पचूर्णि, पृ. 69 6. पडिलेहिज्जइ पढमं, पभाय पडिलेहणाइ रयहरणं । अब्भंतरा निसज्जा, मज्झण्हे बाहिरा पढमं ।। यतिदिनचर्या, गा. 81, भा. 3, पृ. 69 7. पडिलेहणणा गोसाऽवरण्हु, उग्घाडापोरसीसु तिगं तत्थ पहाएऽणुग्गयसूरे, पडिक्कमणकरणाउ। यतिदिनचर्या चूर्णियुत-भावदेवसूरि रचित, पृ. 21 8. साधुविधिप्रकाश, क्षमाकल्याणोपाध्याय, पृ. 4-5 9. वही, पृ. 4-5 10. वही, पृ. 4-5 11. तपागच्छीय परम्परा में 'सूत्र-अर्थ-तत्त्व करी सद्दहुं' ऐसा पाठ बोलते हैं। 12. ये पूर्व क्रिया रूप होने से पुरिम कहलाते हैं तथा मुखवस्त्रिका के दोनों भाग की तरफ तीन-तीन बार किये जाने से छह पुरिम होते हैं। 13. जिस प्रकार कुलवधू के द्वारा निकाला गया यूंघट झूलता रहता है उसी तरह अंगुलियों के अन्तराल में मुखवस्त्रिका का झूलता हुआ आकार बनाना वधूटक कहलाता है। 14. अक्खोडा (आस्फोटन) का अर्थ है-खींचना, आकर्षित करना। 15. पक्खोडा (प्रस्फोटन) का अर्थ है-खंखेरना, झाड़ना, गिराना।
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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