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________________ जैन मुनि के सामान्य नियम...101 7. वही, 17/6 8. (क) समाचरणं समाचार:-शिष्टाचरित: क्रियाकलापस्तस्य भावः। ___ आवश्यक हरिभद्रीयवृत्ति पत्र, 257 (ख) साधुजनेतिकर्तव्यतारूपाम् सामाचारी। (ग) संव्यवहारे, स्थानांगसूत्र,10 9. प्रवचनसारोद्धार, गा. 759 10. पंचाशक प्रकरण, 12/2-3 11. वही, 12/7 12. स्थानांगसूत्र, संपा. मधुकर मुनि, 10/102 13. भगवतीसूत्र, संपा. मधुकर मुनि, 25/7/194 14. उत्तराध्ययनसूत्र, 26/2-7 15. पंचाशक प्रकरण, 12/2-42 16. प्रवचनसारोद्धार, 101/760-766 17. शबलं कर्बुरं चारित्रं यैः क्रियाविशेषैर्भवति ते शबलास्तद्योगात साधवोऽपि। समवायांग टीका-21/1 18. दशाश्रुतस्कंध, संपा. मधुकर मुनि 2/1 19. समवायांगसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 21/1 20. दशाश्रुतस्कन्ध, दशा, 2/1 . 21. उत्तराध्ययनसूत्र, 31/15 22. श्रमणसूत्र, अमरमुनि, पृ. 273 23. दशाश्रुतस्कन्ध, संपा. मधुकर मुनि, दशा-1 24. दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति 8 की चूर्णि 25. समवायांगसूत्र, सम. 20/140 26. दशाश्रुतस्कन्ध, दशा, 1 27. उत्तराध्ययनसूत्र, 31/14 28. श्रमणसूत्र, 273 29. दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति, 11 30. मार्गाच्यवन निर्जरार्थं परिषोढव्याः परीषहाः। तत्त्वार्थसूत्र, 9/8 31. विशेषावश्यकभाष्य, गा. 3004
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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