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________________ | 10. विभिन्न स्थानों की प्राचीन ग्रन्थों का संग्रह करना और देश विदेश में श्रमण संस्कृति की रक्षा की उचित व्यवस्था करना तथा शोधकार्य कराने की समुचित व्यवस्था करना । 11. विदेशो में दिगम्बर जैन धर्म के मूल आम्नय का प्रचार हेतु प्रकाशित ग्रन्थों को भेजना तथा छात्रों और विद्वानों को भेजने, शिक्षण प्रशिक्षण की व्यवस्था करना । 12. दिगम्बर जैन मूल - आर्ष आम्नाय में प्रतिपादित धर्म के विरोध में अज्ञान, द्वेष या ईर्ष्यादिवश लिखे गये लेखों, पुस्तकों, व्याख्यानों, शोध - प्रबंधो आदि का येन - केन प्रकारेण निराकरण करना एवं सन्मार्ग का विकास करना । 13. धार्मिक पठन पाठन के लिए निश्चित पाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन कराना, उनके शिक्षण - प्रशिक्षण की व्यवस्था करना, उनके परीक्षा के लिए __ परीक्षा बोर्ड की स्थापना एवं व्यवस्था करना । 14. जयपुर नगर एवं समस्त भारत में ऐसे संगठनों की रचना करना, उन्हे उचित संरक्षण, प्रोत्साहन, एवं आर्थिक सहायत देना, उनके प्रचार-प्रसार कार्य का संवर्द्धन करना, जिनका उद्देश्य जैन श्रमण संस्कृति को संरक्षित करना एवं मानव कल्याण करना है । 1 - गणेशकुमार राणा अध्यक्ष विनीत : महावीरप्रसाद पहाड़िया । मंत्री . .
SR No.006193
Book TitleJayoday Mahakavya Ka Shaili Vaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAradhana Jain
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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