SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 175
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११७ जयोदय महाकाव्य का शैलीवैज्ञानिक अनुशीलन "मुहम्मद जीवन जल भरन रहँट घटी की रीति । घटी सो आई ज्यों भरी, ढरी बनम गा बीति ॥ ' यहाँ जीवन की अमूर्त निस्सारता एवं क्षणिकता रहँट की क्षण-क्षण भरने और खाली होने वाली घटिया के रूप में मूर्तित हो गई है । उसका क्षण-क्षण भरना और खाली होना जीवन का प्रारंभ होना और समाप्त होना है । जीवन अस्तित्व उतना ही अस्थायी व क्षणिक है, जितना रहँट की घटिया में भरा पानी । इस प्रकार रहँट की घटिया का चित्र जीवन के क्षणिक अस्तित्व और असत्यता को प्रेक्षणीय बना देता है । कबीर ने यही भाव पानी के बुलबुले और प्रभात के तारे के बिम्बों से अभिव्यक्त किया है - पानी केरा बुदबुदा अस मानुस की जात । देखत ही छपि जायगा जस तारा परमात ॥' भावातिशय का समोषण बिम्ब केवल कवि के अमूर्त भावों अथवा विचारों को ही मूर्त नहीं करता, वरन् यह कवि के चरमसीमा तक पहुँचे हुए भावों को भी मूर्तित करता है । यह कवि के तीव्रतम हर्ष, विषाद, प्रेम, घृणा, ईर्ष्या आदि की अभिव्यक्ति है । यह भावों की तीव्रता को पूर्ण मुखर बनाता है । "निराला" की "मैं तोड़ती पत्थर" कविता के बिम्बों के द्वारा कवि का उबलता हुआ विद्रोह छलक पड़ा है । इसी प्रकार सुख-दुःख की मार्मिक वेदना को स्पष्ट करने के लिए कवि बिम्बों का आश्रय लेता है। कालिदास का यह एक पद्य देखिये - अनापातं पुष्पं किसलयमलून कररूई . रनाविद्धं रत्नं मधुनबमनास्वादितरसम् । अखणं पुण्यानां फलमिव च तद्रूपमनपं, न जाने भोक्तारं कमिह समुपस्यास्पति विविध यहाँ शकुन्तला के अस्पृष्ट सौन्दर्य को कवि ने “अनाघ्रातं पुष्पं" आदि जिन बिम्बों के द्वारा मूर्तित किया है वे अत्यन्त मनोहर, मधुर और मोहक हैं। उनसे शकुन्तला के सौन्दर्य की मनोहरता, मधुरता और मोहकता साक्षात् हो जाती है । पाठक को इस अपूर्व सौन्दर्य १. जायसी की विम्ब योजना : डॉ. सुधा सक्सेना, पृष्ठ १३९ २. जायसी की विम्ब योजना, पृष्ठ ६७-६८
SR No.006193
Book TitleJayoday Mahakavya Ka Shaili Vaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAradhana Jain
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy