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________________ हीरसौभाग्य : देवविमलगणि १५१ सम्बन्धित प्रसंगों के सत्यासत्य के परीक्षण के लिये आईने अकबरी तथा अल-बदाकनी जैसे ख्यातिप्राप्त ग्रन्थों से अमूल्य सहायता मिलती है। सिद्धिचन्द्र के अनुसार जिन सामन्तों ने अकबर को हीरविजय सूरि के सच्चारित्र्य तथा अन्य गुणों से अवगत किया था, वे गुजरात के ही सामन्त थे।" उन्हें जैनाचार्य की नैतिक तथा धार्मिक उपलब्धियों का प्रत्यक्ष ज्ञान रहा होगा। यह घटना अकबर के काबुल से लौटने के पश्चात्, सन् १५८२ की है। अकबर ने जिन दूतों को साहिबखान के पास भेजा था, आईने अकबरी के अनुसार वे मेवात के हजारों दूतों में से थे, जो अपनी शीघ्रगामिता तथा साधनसम्पन्नता के कारण सुविख्यात थे। वे उत्तम गुप्तचर थे।" आईने अकबरी में साहिब खान का भी वर्णन है । वह अकबर की धात्री का सम्बन्धी तथा मित्र था। वह मालव का राज्यपाल तथा सन् १५६६ में अकबर का वित्तमन्त्री रह चुका था। सन् १५७७ तक वह गुजरात का वाईसराय भी रहा था।" हीरविजय को जगद्गुरु की उपाधि प्रथम आषाढ़, सम्वत् १६४१ (जून १५८४) को प्रदान की गयी थी। मेवात मण्डल में हीरविजय ने अन्तिम चातुर्मास १५८६ ई० में किया था। इससे स्पष्ट है कि वे चार वर्ष तक आगरा के निकटवर्ती प्रदेश में विहार करते रहे । हीरविजय के अनुरोध पर बन्दियों को मुक्त करने, प्राणिवध पर प्रतिबन्ध लगाने आदि का वर्णन भानुचन्द्र चरित्र में भी पढ़ा जा सकता है । अल बदाऊनी का विवरण भी इसकी पुष्टि करता है। सम्राट अकबर से हीरविजय को जो ग्रंथ-संग्रह प्राप्त हुआ था, भानुचन्द्र चरित्र के अनुसार जैनाचार्य ने उससे एक पुस्तकालय की स्थापना की थी। भानुचन्द्र के प्रयत्नों से शत्रुजय का अधिकार प्राप्त करने के पश्चात् हीरविजय ने १५६२ ई० में संघसहित उस तीर्थ की यात्रा की थी। आचार्य श्री का निधन ऊना में भाद्रपद एकादशी, सम्वत् १६५२ तदनुसार १८ सितम्बर, सन् १५६५ को हुआ था। इतिवृत्त की तथ्यात्मकता तथा काव्य गुणों की दृष्टि से हीरसौभाग्य महत्त्व४१. पप्रच्छ गूजरायातान् सामन्तानिति सादरम् । भानुचन्द्रचरित्र, १.७८ ४२. मोहनलाल दलीचन्द देशाई : भानुचन्द्र चरित्र, भूमिका, पृ. ५ ४३. आईने अकबरी, भाग १ पृ० २५२ ४४. वही, पृ० ३३२ ४५. भानुचन्द्रचरित्र, भूमिका, पृ० ७ ४६. अलबदाऊनी, पृ० ३२१ ४७. भानुचन्द्रचरित्र,१.११६-१२० ४८. वही, ३.७०-७१.
SR No.006165
Book TitleJain Sanskrit Mahakavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyavrat
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages510
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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