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________________ 'मैं समझी नहीं।' 'तुमने तो एक जुआरी को स्वामी मान लिया-किन्तु मेरी योग्यता कितनी है, यह तो मुझे सोच लेना चाहिए।' 'स्वामी! आपकी वाणी से मुझे नहीं लगता कि आप जुआरी हैं।' 'ठीक ही है....अनुभवहीन आंखें अंत:करण की गहराई को नहीं देख सकतीं....अरे, मुझे याद आया-तुमने रात को मुझे दो बार जगाया था, मैंने दो बाण भी छोड़े थे।' 'एक बार सिंह और दूसरी बार बाघ आया था।' लक्ष्मीवती ने कहा। 'ओ! किन्तु तुमको याद है कि बाण किस ओर छोड़ा था?' 'हां, सामने की झाड़ी की ओर।' _ 'तो अब तुम एक काम करो-हमारा प्रवास लम्बा है और तूणीर में बाण कम हैं। उन दो बाणों को खोज लाओ तो अच्छा रहेगा। तब तक मैं प्रात:कार्य सम्पन्न कर लेता हूं। 'अच्छा' कहकर राजकुमारी झाड़ी की ओर गई। विक्रम नदी की ओर गए। राजकुमारी झाड़ी के पीछे गई। वहां का दृश्य देखकर वह स्तब्ध रह गई। एक ओर सिंह मरा पड़ा था और उसका मुंह बाण से बींधा हुआ था। उससे मात्र बीस हाथ की दूरी पर बाघ भी मरा पड़ा था। राजकन्या ने दोनों के मुंह से बाण खींच लिए। उसने सोचा, क्या यह जुआरी इतना सक्षम निशानेबाज है? रात्रि के अंधकार में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, केवल शब्द के आधार पर बाण छोड़े थे-अरे, क्या ये वास्तव में जुआरी हैं? इनका चेहरा कितना भव्य है ! इनकी भुजाएं कितनी विशाल हैं ! इनका वक्षस्थल! ये कौन हैं ? मैंने दो रात्रियां इनके साथ बिताईं, पर इन्होंने अपना विवेक नहीं खोया, मेरे प्रति इन्होंने दोषपूर्ण दृष्टि से भी नहीं देखा....कौन हैं ये? इस प्रकार सोचती हुई लक्ष्मीवती लहू से सने दोनों बाण हाथ में लेकर अपने स्थान पर आयी। अभी तक विक्रम प्रात:कार्य सम्पन्न कर लौटे नहीं थे। राजकन्या विचारमग्न होकर बैठ गई। कुछ समय पश्चात् प्रसन्नचित्त वीर विक्रम वहां आ पहुंचे। राजकन्या को विचारमग्न देखकर पूछा- 'क्यों देवी! बाण मिल गए न?' 'हां, स्वामी ! आपकी निशानेबाजी ने मुझे विचारमग्न कर डाला है।' बैठते हुए विक्रम ने कहा-'इधर-उधर घूमने वाले जुआरी को यदि इतना भी नहीं आता तो उसे बेमौत मरना पड़ता है...अब हमें कुछ खा-पी लेना चाहिए....पास में कुछ खाद्य है ही। आगे की आगे सोचेंगे।' २६४ वीर विक्रमादित्य
SR No.006163
Book TitleVeer Vikramaditya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Chunilal Dhami, Dulahraj Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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