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________________ भाषार्थः प्रयोगाः सन्त्स: - वह सत्पुरुष है । ( एवं विवृतौ ) विद्यार्थिन्त्सहस्व - हे विद्यार्थि ! सहनकर छात्रास्वापय विद्यार्थियों को सुला दो सू० ८७ परिशिष्टम् सू०८८ सञ्छम्भुः - शम्भु भगवान् सरस्वरूप हैं ( एवं विवृतौ ) बालाञ्छास्ति - बालकों को शिक्षा देता है । सू० ८६ प्रत्यङ्ङात्मा - अन्तरात्मा, जीवात्मा । सुगरणीशः -- गणितज्ञों का श्रधिपति । सन्नच्युतः - श्रच्युतभगवान् सत्स्वरूप हैं । ( एवं विवृतौ ) तिङ्ङतिङ :- प्रतिङ से पर तिङ् । तस्मिन्निति - 'तस्मिन् ' ऐसा । पठन्नति--पढ़ता हुआ जा रहा है । सृ० ६३ संरकर्त्ता - संस्कार करने वाला । ( एवं विवृतौ ) संस्कारः - संस्कार | संस्कृतम् - परिशोधित । संस्करोति-संस्कार करता है । स० ६४ ०. पुंस्कोकिलः - नर कोयल । ( एवं विवृतौ ) पुस्पुत्रः - पुरुष का पुत्र | पुश्चरित्रम् - पुरुष का चरित्र । प्रयोगाः भाषार्थः पुस्तिकम् - पुरुष का तिलक । पुष्टीका-पुरुष की टीका । सू० ६६ चक्रधारी चक्रिस्त्रायस्व - हे रक्षा करो । प्रशान्तनोति - शान्त पुरुष (शान्ति) फैलाता है । हन्ति मारता है । ( एवं विवृतौ ) कस्मिंश्चित् - किसी (स्थान) में | भक्ताँस्तारय- भक्तों को तारिये । विद्वाँरछात्रः - विद्वान् विद्यार्थी । वेद-वेदों की टीका करो । स० ६८ भगवान् ! नृपाहि (इन) मनुष्यों की रक्षा करो । ( एवं विवृतौ ) नँ - पालयस्व - लोगों की रक्षा करो । सृ० १०० कस्कान - किन २ को ( पढ़ाऊं ) । सू० १०१ शिवच्छाया - शिव की छाया । ( एवं वितौ ) वृक्षच्छाया - वृक्ष की छाया । स्वच्छात्रः - अपना विद्याथीं । इति हल्सन्धिः । ३५७ सू० १०२ लक्ष्मीच्छाया लक्ष्मी की छाया । ( एवं विवृतौ ) नदीच्छन्ना - नदी में छुपी हुई ( वस्तु) ।
SR No.006148
Book TitleLaghu Siddhant Kaumudi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
PublisherMotilal Banrassidas Pvt Ltd
Publication Year1981
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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