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________________ आचार्य श्री नेमिचन्द्र विरचित द्रव्य-संग्रह संस्कृत छाया, हिन्दी पद्यानुवाद, गुर्जर अन्वयार्थ तथा हिन्दी गाथार्थ तथा अंग्रेजी भावार्थ सहित * मंगलाचरण मूल गावा : जीवमजीवं दव्वं जिणवस्वसहेण जेण णिहिट्ठ । देविंदविंदबंदं वंदे तं सव्वदा सिरसा ॥ १ ॥ संस्कृत' जीवमजीवं द्रव्यं जिनवरवृषभेण येन निर्दिष्टम् । छाया: देवेन्द्रवृन्दवन्द्यं वन्दे तं सर्वदा शिरसा ।। १ ॥ पद्यानुवाद : जीव सचेतन द्रव्य रहे हैं, तथा अचेतन शेष रहें, जिनवर में भी जिन-पुंगव वे, इस विध जिन-वृषभेश कहें। शत-शत सुरपति शत-शत वन्दन, जिन-चरणों में सर धरते, उन्हें न, मैं भाव-भक्ति से, मस्तक से झुक झुक कर के ॥१॥ "अन्वयार्थ : जेण जिणवरवसहेण] निवर धाम भगवाने [जीवमजीवं दव्यं] 04 भने म ध्यन णिद्दिट्ठ वायु, दिविंदविंदवंद] દેવેન્દ્રોના સમૂહથી વંદનીય તિ] તે પ્રથમ તીર્થંકર વૃષભદેવને હું (શ્રી , नमियन्द्र CAline4) [सव्वदा] [सिरसा मस्त नमावीन वन्दे] વંદન કરું છું. हिन्दी मैं (नेमिचन्द आचाय) जिस जिनवरों में प्रधान ने जोव और अजीव गायार्थ : द्रव्य का वर्णन किया उस देवेन्द्रादिकों के समूह से वंदित तीर्थंकर परमदेव को सदा मस्तक झुकाकर नमस्कार करता हूँ॥१॥ Translatien : I always salute with my head that eminent one among the great Jinas, who is worshipped by the host of Indras' and who has described the Dravyas (substances) Jiva' and Ajiva'. हिन्दी पद्यानुवादक आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज संकलनकर्ता श्री परिमल किशोरभाई खंधार, बंबई प्रकाशक : श्रीमती समताबहेन खंधार चेरिटेबल ट्रस्ट २, आशियाना स्टर्लिंग पार्क, ड्राइव-इन सिनेमा के पास, ... अहमदाबाद-३८००५२ 1. King of Devas. 2. Living Substances. 3. Non - living substances.
SR No.005954
Book TitleDravya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Acharya, Vidyasagar Maharaj, Kishor Khandhar
PublisherSamtaben Khandhar Charitable Trust
Publication Year
Total Pages30
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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