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________________ १५० शत्रुंजय माहात्म्य. चक्र आयुधशालामा प्रवेश करतुं नथी, माटे तेनुं मारे शुं करवुं ? वली साठ हजार वर्षोसुधिमां दिग्जय करीने हुं श्राव्यो, अने ते वखते पण नहीं श्रावेला जाने में माणसो मारफते बोलाव्या, त्यारे तेर्ज तो मनमां कंक लावीने तातनां अनुयायिर्ड थया; पण था बाहुबलि मारो विनय करवा लाग्यो. पेहेलां तो ते मने तातनी पेठे विनयथी श्राराधतो हतो, " · नेमणां तो ते दैवयोगे मारी श्राज्ञा पण मानतो नथी. हवे एक बाजुथी जोउं बुं तो या मारो नानो जाइ माराज शतुल्य बे; अने बीजी बाजुथी श्री चक्ररत्न पोतानां स्थानकमां प्रवेश करतुं नथी. माटे एकज वखत ते मारो जाइ मारी पासे श्रावे; ने पढी ते या हाथी, घोडा, रथो, राज्य विगेरे मारुं सघलुं तुरत जले लेइ जाय. माटे हे देवो ! एवी रीते संकटमा रहेला मने न्यायदृष्टिथी विचारिने तमो शिखामण आपो ? एवी रीतनी चक्रीनी वाणी सांजलीने ते देवो तेमने कड़ेवा लाग्या के, हे महीपति ! चरत्ननां प्रवेशथी श्रमो तमोने कई पण अटकावी शकता नथी. पण हवे जो ते बाहुबलि राजा पण माने तो, तमोए द्वंद्वयुलड, के जेथी जगतनो दय थाय नहीं, अने तेथी तमो बन्नेए दृष्टि, वचन, मुष्टि, अने दंडथी युद्ध कर के जेथी तमारां बन्नेनां पराक्रमनी सिद्धी थशे अने प्राणीजनो नाश यतो अटकशे पढी ते वात जरते कबुल करवायी ते देवो बाहुबलिनां सैन्यमां गया, त्यां तेर्जए बाहुबलिने जोया; त्यारे ते ए तेमने आशिष थापी के, दे युगादीश प्र जुनां पुत्र बाहुबलि ! तमो जय तथा आनंद पामो ? एम कही ते तेमकवा लाग्या के, हे बाहुबलि ! बलवान एवा तमोए जुजदंडनी खरजना मिशथी जगतना संहारनां कारणरूप या शुं आरंज्युं बे ? वली हे राजन् ! तमो यशनां श्रर्थी तथा गुरुजक्त बो, तो आ मोटा जाइ साथै तमोए रणसंग्रामनो संरंज शुं मांड्यो बो ? माटे तमो चालो ? अने भरतराजाने नमस्कार करो ? केम के तेवीं रीतनी गुरुसेवाथी तमारुं विशेष मान थशे. वली पोतेज मेलवेला धननी पेठे व खंड जरतनुं राज्य तमो करो ? अने तेम कर्याथी सर्वथा तमारी शोजा वधशे, केम के, अहंकार तो अज्ञानी माणसोने होय बे; एटलुं कहीने देवो मौन रह्या बाद बाहुबलि तेमने कहेवा लाग्या के, सरल आशयवाला तमो तातनां अत्यंत Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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