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________________ | વીસમી સદીના વિશેષાર્થના અધિકારીઓ વિભાગનું અનુસંધાન | SANCHAR 25 करेटगलोर अनुमोदनीय - अनुककरणीय - अपूर्व , अनोखा, अभिनंदनीय ऐतिहासिक संघ हस्तगिरि से सिद्धाचल व गिरनार छःरी पालित संघ ता. १३-१२-०८ से ता. ३०-१२-०८ तक आयोजक आयोजक पावन निश्रा सा देवराजजी हस्तीमती रका | मा मांगीलालजी हस्तीमलजी. | प.पू. आचार्य देव श्रीमद् विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. राज, जीवराज. पुनमचंद श्रीपती मएन पोधाताल गीतमचंद सुरेणकुमार महारी परिवार बाढी (रामपुर) अंगहोर जयन्तिलान, अ जेठालाल परिवार पार, मुहालदद। के शिष्यरत्न प.पू. मुनिराज श्री गुक्तिधन विजयजी म.सा. एवं मापार में मारवा. श्रीमती शान्तिवाई गंभीरमलजी गाणा | नोरमार, श्रीमती रीस महामाा मारतात, विनोनमार, सुरेन्द्रकुमार, जितेन्द्रकुमार वसंत ट्रेडस.. .न प.पू. मुनिराज पुण्यधन विजयजी म.सा. RAP चीनीवर प्रतिवाया (राज.) (गुजरात) माही (सनकपुर), कोईम्बार कर्म ऑस्तवाल एण्ड बैर. (सी.), पोरकर्म: गुरुगौतम प्रप, मेंगलोर 'सानिध्य : प.पू. साध्वीजी श्री सूर्यमासाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा भारत वर्ष के इतिहास में संघ निकालना बड़ी बात नहीं । ता. १२-१२-०८ को प्रातः ५-०० बजे शहनाईओं के सुर के साथ गुरु पुण्योदय से प्राप्त लक्ष्मी का सदुपयोग करनेवाले भाग्यशाली ऐसे आयोजन भगवंतों, साध्वीजी भगवंतों एवं सभी यात्रिकों के साथ हस्तगिरि की यात्रा की करते ही रहते हैं, मगर पुण्यप्राप्त लक्ष्मी का उपयोग पुण्यानुबंधी पुण्य प्राप्त गई। भक्तामर पाठ, स्नात्र पूजन , चैत्यवंदन दर्शन के साथ हस्तगिरि की यात्रा आयोजनों में करनेवाले विरले ही होते हैं। बेंगलोर नगर से एक ऐसा अद्भूत सभी को खूब मनभावन बनी। प्रातः ९.०० बजे शान्तिपूजा विधान एवं आयोजन हुआ जो आज तक के जैन जगत के इतिहास में अंकित संघों में संघयात्रा विधान खूब अद्भूत भक्तिमय बना । संघ प्रयाण पूर्व का दिन इतना शिरमौर बना। आईए हम सब इस छ:री पालित संघ आयोजन की स्वर्णिम भक्तिमय देखकर सब कह रहे थे कि यह संघ अपूर्व ही होगा। खूब झुमे घड़ियों का स्मरण कर अनुमोदन कर अपने पुण्य को भी उंचाईओं के शिखर नाचे सभी याविक!!! रात्रि में सभी यात्रिकों को बेडिंग , रग, कीट वितरीत की तक पहुंचाएँ। गई जिसमें ४० चीजे धी, सारी रात्रि तैयारिओं में बिती अब घडी थी प्राध्यापक सुरेन्द्रभाई सी. शाह जैन जगत का एक ऐसा नाम है मंगल प्रयाण की जिनसे शायद ही कोई अनभिज्ञ है। । प्राध्यापक के साथ तपस्वी , वक्ता, आयारे अवसर आनंदना............... सुविशुद्ध विधिकारक, लेखक, संपादक, मार्गदर्शक, आयोजक, हर प्रात: ५.०० बजे प्रतिक्रमण करके श्री आदिनाथ दादा के दर्शन , चैत्यवंदन आयोजन में प्राण फूंकनेवाले, सदा बहार, सदैव खुब हसते हैं। सब को खूब एवं भक्तामर पाठ कर अयोध्यापुरम से परमात्म रथ, हाथी, घोडा बगी, हसाते हैं । आराधना में जूटानेवाले, जिनमंदिर, उपाश्रय निर्माणकर्ता उटगाडियाँ के साथ बेन्ड एवं शहनाईओं की सुरावली एवं यात्रिकों द्वारा नव्वाणुं यात्रा आदि अनेक कार्यों से आपने पुण्य को सदरता प्रदान जयजयकार के साथ दक्षिण की मैसुर पगडीयों एवं जैन जयति शासनम् के करनेवाले उनके मन में छरी चालित संघ की भावना.... उनकी १७ वे वर्षांतप ज्वाजल्यमान दुप्पट्टा के साथ संघ का मंगलप्रयाण, देखने जैसा नजारा था। की आराधक मातुश्री मधुबेन चोधालात की भावनानुसार एवं पू.साध्वीजी नाच रहे थे कार्यकर्ता... लन्धि ग्रुप के बालक-बालिका व्ययवस्थापक भक्ति सूर्यमालाश्रीजी म.सा. की शिष्या उज्वलज्योतिश्रीजी म.सा.(बहन म.सा.) की धुन में मस्त थे तो आराधकों की मस्ती कुछ ओरधी। की प्रेरणा से जागृत हुई। पालिताणा रांका-बाफणा(मामा भानजे) परिवार इसी समय सभी ने कहा आयोजित चातुर्मास दौरान पू. मुनिराज श्री मुक्ति धन विजयजी म.सा., आसंघने जेणे निरख्योहशेतेधन्य छे....... पू.मुनिराज.श्री पुण्यधन विजयजी म.सा. की पावन निश्रा में महोत्सव में एरी पातित संघ की हर्षोल्लास के साथ जय बुलाई। संघ का मुकाम कार्यक्रम क्र.सं शा हस्तीमलजी भंडारी परिवार , मारवाड जंक्शन दिनांक वार गाँव का नाम कि.मी १ १२-१२-०८ शुक्रवार रांका बाफणा परिवार सादडी राणकपुर हस्तगिरी यात्रा तथा शांतिविधान २ १३-१२-०८ शनिवार हस्तगिरी से रोहीशाता श्रीमती मधुबेन चोधालालजेठालाल परिवार परा . ३ १४-१२-०८ रविवार पालीताणा प्रदेश शा जीवराजजी गुणेशमलजी ओस्तवाल गढसिवाणा ४ १५-१२-०८ सोमवार पालीताणा तीर्थयात्रा घेटीपाग १ आदिपुण्यवान संघ आयोजक रुप में जुट गये ५ १६-१२-०८ मंगलवार घेटीपाग से मानगढ ता. १३-१२-०८ का संघ प्रयाण का शुभ मुहर्त निश्चित हुआ। ६ १७-१२-०८ बुधवार मानगढ से गारीयाधर आराधना के एक मात्र लक्ष्य से आयोजित इस संघ में जुटने पधारने ७ १८-१२-०८ गुरुवार गारीयाधर से टीवडी आमंत्रण पत्रिका द्वारा आमंत्रण दिया गया। अब बात ही क्या ! जिसमें सुरेन्द्र ८ ११-१२-०८ शुक्रवार टीबडी से सलडी गुरुजी कैसे आयोजक रुप में जुटे हो, जिनके निर्देशन में संघ के करीबन ९ २०-१२-०८ शनिवार सलडी से बाताहनुमानजी ७००० आवेदन पत्र वितरीत हुए। संख्या लेने पी ५०० की करीबन ६०० १० २१-१२-०८ रविवार बाताहनुमानजी से पाणीया १६ ११ २२-१२-०८ सोमवार आराधक चुने गये । प्रतिदिन नित नये आयोजनों के साथ ऐतिहासिक संघ की पाणीया से माटा मुजियासर १५ विशिष्ठ तैयारियां प्रारंभित हुई। १२ २३-१२-०८ मंगलवार मोटा मुजियासर से नकलंग आश्रम १० १३ २४-१२-०८ बुधवार नकतंग आश्रम से अजाणी पीपलीया ८ संघवीजीसंघने जात्रा करावो............ १४ २५-१२-०८ गुरुवार अजाणी पीपतीया से नवालीया . ता. ९-१२-०८ मौन एकादशी के दिन चिकपेट मंदिरजी में संघ यात्रा प्रयाण १५ २६-१२-०८ शुक्रवार नवालीया से बीलखा (गौशाला) १२ पूर्व भव्य स्नात्र के साथ शान्ति विधान हआ। क्या नाचे आयोजक !!! सारा १६ २७-१२-०८ शनिवार बीलखा से डुंगरपुर १४ वातावरण भक्तिमय था ||| श्री आदिनाथ जैन संघ चिकपेट द्वारा बहुमान कर १७ २८-१२-०८ रविवार डुंगरपुर से जुनागढ तलेटी १२ संघवीजी का अभिनंदन किया गया । संघवी एस. देवराज परिवार के संघवी १८ २९-१२-०८ सोमवार गीरनारजी तीर्थयात्रा - दुर्लभजी ने संघ विदाय तिलक किया। दोपहर ट्रेन द्वारा २०० यात्रिकों के १९३०-१२-०८ मंगलवार संघमाला साथ विशाल संख्या एवं विशिष्ठ व्यक्तिओं ने संघ को विदाई दी । चेम्बुर दो घंटो तक पूरे रास्ते में सुरेन्द्र गुरुजी द्वारा भक्ति की धून आदेश्वर दादा के दर्शन पूजन कर बान्द्रा से ट्रेन द्वारा ता. ११-१२ को रास्ते मंत्राक्षरों का सामुहिक उच्चारण के साथ रास्ता कब कट गया - मालुम ही न में प्रभु भक्ति करते सोनगढ उतरे। दोपहर १.०० बजे बस द्वारा हस्तगिरि में हुआ।जय जयकारों के साथ पहुंचे मुकाम पर रोहीशाला....संघ का सामैया भी संघ का स्वागत हुआ। अब सभी तैयारियाँ चरम सीमा पर पहुँची । सभी का बादशाही... बाद में प्रभु भक्ति की रमझट .... मुकुट बद्ध आराधकों के साथ मन खुशियों से झुम रहा था। भावनाएं परिपूर्ण होने का आनंद संघवी भव्य स्नात्र एवं १०८ पार्श्व महापूजन चामरों की रमझट एवं नृत्य तो पूरे दोपहर परिवार के चेहरे पर स्पष्ट दिख रहा था। दो बजे तक चली । क्या ठाठ प्रभु भक्ति का....एकाशन की व्यवस्था भी મોક્ષલક્ષી ભારતીય સંસ્કૃતિમાં યાત્રાસંઘોનું આગવું મહત્વ રહ્યું છે. શ્રી સુરેન્દ્રભાઈ ગુરુજીએ આ ચાવ્યાસંબંધે ભારતભરમાં ધર્મભક્તિના ઘોડાપુર વહાવ્યા છે. 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SR No.005121
Book TitleJinshasan na Zalhlta Nakshatro Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal B Devluk
PublisherArihant Prakashan
Publication Year2011
Total Pages620
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size37 MB
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