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________________ चौदमा अने पन्दरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य तुंग पयोहर उल्लसह सिंगारथवक्का | कुसुमबाण निय अमियकुंभ किर थापणि मुक्का ॥ १२ ॥ भास - काजलि अंजिवि नयणजय सिरि संथ फाडेई । बोरीयावाड कांचुलिय पुण उरमंडल ताडे ॥ १३ ॥ कन्नजुयल जसु लहलहंत किर मयणहिंडोला चंचल चपल तरंगचंग जसु नयण कचोला 1 सोहइ जासु कपोलपालि जणु गालिमसूरा । कोमल विमलु सुकंठु जासु वाजइ संखतूरा ॥ १४ ॥ लवणिमर सभरकूवडिय जसु नाहि य रेहइ । मयणराय किर विजयखंभ जसु ऊरू सोहइ । जसु नहपल्लव कामदेवअंकुस जिम राजइ । रिमिझिमि रिमिझिमि ए पायकमलि घाघरिं य सुवाजइ ॥ १५ ॥ नवजोवनविलसंतदेह नवनेहगहिल्ली । परिमललहरिहि मयमयंत रइकेलि पहिली । अहर बिंब परवालषंड वर चंपावन्नी । नयणसलूणी य हावभावबहुगुणसंपन्नी ॥ १६ ॥ भास — इय सिणगार करेवि वर जब आवी मुणिपासि । जोएवा कउतिगि मिलिय सुरकिंनर आकासि ॥ १७ ॥ अह नयणकडक्खहं आहणए वांकउ जोवंती 1 हावभाव सिणगार भंगि नवनवि य करंति । तह वि न भीजइ मुणिपवरो तउ वेस बोलावइ । तवणुतुल्लु तुह देह नाह ! मह तणु संतावइ ॥ १८ ॥ Jain Education International ५०१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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