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________________ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति १७६ पन्नरमा सैकाना श्रीगुणरत्नसूरिए विक्रमसंवत् १४६६ मां रचेला पोताना ' क्रियारत्नसमुच्चय ' मां ते समयनी प्राकृतवार्ता – लोकवार्ता - लोकभाषा - मां चालतां केटलांक क्रियापदो अने वाक्यो आपेलां छे. जेने जाणवाथी ते समयनी चालु भाषानो विशेष स्पष्ट ख्याल आवशे माटे ते बधांने आ नीचे ૪૮૨ गुणरत्नना प्रयोगो जणावी दउं छं: उक्त कुलमंडन अने प्रस्तुत गुणरत्न बन्ने गुरु-भाई हता, ए वात आगळ ( पृ० ४५० ) जणावाई गई छे. तृतीय पुरुष द्वितीय पुरुष " वर्तमान- एड करइ ( ए करे छे ) लियइ ( ले छे" लाति " गुणरत्न ) जायइ ( जाय छे ) " आपतति " गुण० ) सुअर (सूए छे ). बहु ० -- ए घणां करई (एओ घणा करे छे ) ए घणां लिई (एओ घणां ले छे ) तूं करें (तुं करे छे ) तूं लिअँ (,, ले छे ) तूं दिऔं (,, दे छे ) बहु ० तुम्हे करउ ( तमे करो छो ) लिअउ ( ल्यो छो ) "" दिअउ (, यो छो) Jain Education International "" दिअइ (दे छे ) आवइ ' ( आवे छेजागइ ( जागे छे ) "" ३२० क्रियारत्नसमुच्चय- बनारस यशोविजय जैन पाठशाळाए यशोविजय जैन ग्रंथमाळाना दशमा पुस्तकरूपे प्रसिद्ध करेलो छे. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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