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________________ गुजराती भाषानी उत्क्रांति मागधी अने शौरसेनी शब्द अमुक प्रदेशनी भाषानो बोधक छे, पैशाची शब्द अमुक जातिनी भाषानो ज्ञापक छे. 'अपभ्रंश'नो , । तेवी रीते अमुक देशनी वा अमुक जातिनी भाषा - सामान्य अर्थ माटे 'अपभ्रंश' शब्दनो प्रयोग नथी माटे वैदिक अने लौकिक संस्कृतनु भ्रष्टरूप, आर्षप्राकृत के साधारण प्राकृतनुं भ्रष्टरूप, मागधी, भ्रष्टरूप, शौरसेनीन भ्रष्टरूप, पैशाचीन भ्रष्टरूप-ए बधी विशेष भाषानां भ्रष्टरूपो — अपभ्रंश'ना भावमां समाई जाय छे. प्राकृत भाषानो व्यापक अर्थ छे छतां ते जेम अमुक एक विशिष्ट अर्थने पण सूचवे छे तेम अपभ्रंश शब्दनो भाव पण प्राकृतनी जेवो व्यापक छे छतां ते, अहीं तो एक खास विशिष्ट भाषाना अर्थनो द्योतक छे. जे विशेष भाषाने अपभ्रंश शब्द सूचवे छे ते भाषा अमुक समये वा अमुक संवतमां ज उत्पन्न थई हती एम काई कही शकाय एवं नथी. भाषाविज्ञाननी दृष्टिए जोतां तो अपभ्रंश भाषा पण जन्मनी दृष्टिए वैदिकयुगना आदिम प्राकृत साथे ज संबंध राखे छे. अपभ्रंश अने वैदिक युगमा जे भाषा बोलचालनी हती तेनुं नाम . 'आदिम प्राकृत.' ए आदिम प्राकृत बोलनारा आर्यों आदिम प्राकृत के तेमना संपर्कमां आवेला आदिम लोको ए बधानां उच्चारणो एकसरखां ज होय ए न बनवा जेतुं छे. उच्चारणभेदनी उपपत्ति अने आर्यो तथा आदिम जातिओना संपर्कथी थता शब्दपरिवर्तननी उपपत्ति ए बन्ने बाबत आगळ सविशेष चर्चाई गई छे. (पृ० १४-४४) तात्पर्य ए के उच्चार्यमाण आदिम प्राकृतनां जे उच्चारणो विशेष भ्रंश पामेलां हतां तेमनुं समग्र एक नाम अपभ्रंश एटले जे समय आदिम प्राकृतनो ते ज समय भ्रष्ट उच्चारणरूप अपभ्रंशनो. परंतु अहीं ए याद राखवू जोईए के आदिम प्राकृतनां भ्रष्ट उच्चारणोनो सूचक 'अपभ्रंश' शब्द खास Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004874
Book TitleGujarati Bhashani Utkranti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherMumbai University
Publication Year1943
Total Pages706
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Grammar
File Size22 MB
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