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________________ १४२ विशेष विशेष तप करतो रहे छे, पोताना मतनां धर्मशात्रोनो अभ्यास करे छे, प्राणीओनी रक्षा करे छे अने पोताना गुरुनी सेवा करे छे. एम करता करतां ते भणीगणीने पोताना धर्ममार्गमां कुशळ थई गयो. हवे एक वार ते वेसियायण विहार करतो करतो कुम्मारगामनी बहार रह्यो अने त्यां आतापना लेवा लाग्यो. आ रोते वेसियायणनी उत्पत्तिनो वृत्तांत छे. ____ आतापना लेता ते वेसियायगनी जटाना जूडामाथी बपोरना सूर्यना प्रचण्ड तापथी संताप पामेलो जूओ जमीन उपर पडवा लागी. जीवो तरफ दयाभावने लीधे ते वेसियायण जूओने पडतां ज पोताने हाथे उपाडीने पाछी जटाना मुगटमां-जटाना जूडामां मूकी दे छे. हवे आ तरफ ते बाजु भगवान महावीरनी साथे चालता गोशाळाए तेने जोईने पोताना अटकचाळा स्वभावने लीधे तेनी पासे आवीने मोटो अवाज करीने काभो ! भो ! शुं तमे मुनि छो के मुणिया छो ? अथवा जूओने रहेवा माटे शय्या-घर छो? स्त्री छो ? पुरुष छो ? बराबर खबर नथी पडती के तमे कोण छो ? अहो ! तमारुं आ गम्भीर रूप जाणवामां नथी आवतुं. गोशाळाए आम कह्या पछी ते वेसियायण क्षमाशील होवाथी कांई बोल्यो नहीं पण ज्यारे ते दुर्विनयरसिक-तोफान करवामां रस धरावतो गोशाळो एम बोलतो न अटक्यो अने त्रण त्रण वार फरी फरीने एम ज पूछवा लाग्यो त्यारे ते वेसियायणने क्रोध आवतां भभूकी उठ्यो----अर्थात् ते वेसियायण प्रशमशोलशरीरी-परम शीतळ प्रकृतिवाळो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
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