SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 357
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - अग्निसार क्रिया वज्रासन में बैठिये / घुटनों को अधिक से अधिक दूर रखिये। दोनों हाथों को घुटनों पर रखिये / सामने की ओर झुकिये। मुँह खोलिये / जिह्वा का विस्तार बाहर कीजिये / हाथ सीधे रहें / उदर का विस्तार एवं संकुचन करते हुए तीव्र गति से श्वास-प्रश्वास क्रिया कीजिये / श्वसन-क्रिया उदर की गति के समकालीन होनी चाहिए। श्वसन - क्रिया कुत्ते के हाँफने की तरह हो / श्वासोच्छ्वास क्रिया लगभग 25 बार कीजिये / उच्च अभ्यास विधि प्रथम अभ्यास की - सी शारीरिक अवस्था बनाइये / यथासम्भव दीर्घ रेचक कीजिये / जालंधर बंध लगाइये / तेजी से उदर के स्नायुओं का विस्तार एवं संकुचन कीजिये / कुंभक का क्षमता के अनुसार अभ्यास कीजिये। सावधानी भोजन ग्रहण करने के कम से कम 4 घंटे बाद अभ्यास कीजिये। 340
SR No.004406
Book TitleAasan Pranayam Mudra Bandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanand Sarasvati
PublisherBihar Yog Vidyalay
Publication Year2004
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy