________________ सप्ततिकाभाष्यम्। सम्मजुय उदइ इगवीस नत्थि तिदुवीस नत्थि विणा / मिच्छुदए 'अणरहिए अट्ठावीसेव संतम्मि // 50 // पुचयनपित्थिसंते जुगवं थक्क 'अवेइ एक्कुदओ / चउबंध संतिगारस जुगवं सत्तक्खए चउरो / / 5 / / पंडगपट्ठवगेयं एवं थीए वि' नवरि नपि खीणे / 'ता इत्थिउदयसंतं पुबंधं जुगवुच्छेएइ // 52 // पुरिसो पट्ठवगो: पुण सव्विगवीसाइफासए कमसो | . हासछगखवणकाले पुबंधुदया परं थक्का // 53 // सम्म विणा उदएसु संतविभागो उ अजयमाईणं / / चउरहवीस उवसंतसम्मि खीणम्मि - इगवीसा // 54 // जीवस्थानेषु बन्धादीनाहअट्ठसु पंचसु एगे जियठाणे एग दुन्नि दस बंधा / 'तिग 'चउ नव उदयम्मि उ तिग तिग पन्नरस संतम्मि.॥५५।। .. . . गतिषु बंधादीनाहबंधट्ठाणा तिन्नि उ पढमा सुरनारएसु चउ तिरिसु / / सुरनारयाण छाई तिरि पंचाई दसंतुदया // 56 / / इगवीसंता तेवीसवज्जिया छावि संति तिसु गइसु / मणयगईए . सव्वे, बंधोदयसंतठाणाणि // 57|| मोहो सम्मत्तो॥ तेवीसपन्नवीसा छव्वीसा अट्ठवीस गुणतीसा / तीसेगतीसमेगंबंधट्ठाणाणि नामस्स // 58 / / वन्नचउतेयकम्मा, निम्माणुवघायमगुरुलहुयं च / नव धुवबंधा एए सव्वत्थ मिलंति, जा बंधो // 56 // थिरसुभर सुस्सर३ सुखगइ४ सुभग५ जसा देय७ सियरसत्तदुगा संघयणा 6 संठाणा. छद्धा-पिंडा हवंतेए // 6 // 'नवगाविरुद्धगहणे तज्जा भंगा हवंति सव्वत्थ / छायालसयाणि अडुत्तराणि अविसेसिए धुवओ // 6 // 1 "तो इथिउदय सन्त पुबंध जुगव छे एई” इति पाठो मुद्रितप्रतो दृश्यते। किन्तु स छन्दमना, दिहेतुना ऽशुद्धः प्रतिभाति। 2 “तिसिक्कतिसमेगं" इति मुद्रितप्रतौ पाठोऽस्ति, किन्तु सोऽशुद्धः / ३."नवए वि०" इत्यपि।