________________ // अहम् // पूर्वधरवाचकवरश्रीशिवशर्मसूरिप्रणीतः // शतकसंज्ञकः पञ्चमः कर्मग्रन्थः // अरहते भगवंते अणत्तरपरकम्मे पणमिऊणं / वंधसयगे निबद्धं संगहमिणमो पवक्खामि // 1 // सुणह इह जीवगुणसन्निएसु ठाणेसु सारजुत्ताओ / वोच्छं कइवइयाओ गाहाओ दिद्विवायाओ // 2 // ___ (प्रक्षेपगाथा) उवयोगा जोगविही जेसु य ठाणेसु जत्तिआ अस्थि / / 'जप्पच्चइओ बंधो होइ जहा जेसु ठाणेसु / / 2 / / 3 / / बंधं उदयमुदीरणविहिं च तिण्हं पि तेसि संजोगं / बंधविहाणे य तहा किंचि समासं पवक्खामि // 3 // 4 // एगदिएसु, चत्तारि हुति विगलिदिएसु छच्चेव / पंचिदिएसु 'वि तहा चत्तारि हवंति 'ठाणाणि // 4 // 5 // तिरियगईए 'चोदस, हवन्ति सेसासु जाण दो दो उ / मग्गणठाणेसेवं, नेयाणि समासठाणाणि // 5 // 6 // गइइन्दिए य काए, जोए वेए कसायनाणे य / संजमदंसणलेसा, भवसम्मे सन्निआहारे // 7 // (प्र०) एकारसेसु "तिय तिय दोसु चउक्कं च बारसेगम्मि / जीवसमासेसेवं उवओगविही मुणेयव्वा // 6 // 8 // "णवसु चउक्के एक्के जोगा एक्को य 'दोन्नि पन्नरस / तब्भवगएसु एए भवन्तरगएसु काओगो // 7 // 6 / / उवओगा जोगविही जीवसमासेसु वन्निया' एवं / एत्तो गुणेहि सह' 'परिगयाणि ठाणाणि मे सुणह॥८॥१०॥ मिच्छट्टिी सासणमिस्से अजए य देसविरए य / नव संजएसु एवं चउदस गुणनाम"ठाणाणि // 9 // 11 // . 1. "जप्पच्चईउ" इत्यपि / 2 "जया' इत्यपि / 3. "उदयोदीरण." इत्यपि / 4. "य" इत्यपि / 5. "ठाणाई" इत्यपि / 6. “चउदस” इत्यपि / 7. “तिगतिग” इत्यपि / 8 "नवसु” इत्यपि / 9, "दुन्नि" इत्यपि। 10. “एए" इति वा पाठः / 11. "संगयाणि' इत्यपि। 12. 'भे" इत्यपि / 13. “एए" इत्यपि / . 14. "धेयाणि" इत्यपि /