________________ कर्मप्रकृत्युत्तरभेदनिरूपणम् [ 11 एवं पत्तेयविवरणा। इयाणि सेयरविवरणा भन्नइ-तसभावनिव्वत्तयं तसनामं / थावरभावनिव्वत्तयं थावरनाम / तसकम्मदए जोवो बेइन्दियमाइजाइजीवेसु / थावरकम्मुदएणं पुढवीमाईसु सो जाइ / ___बायरसरीरनिव्वत्तयं बायरनामं / सुहुमसरीरनिव्यत्तयं सुहुमनामं / भणियं च"वायरकम्मुदएणं बायरकाएसु होइ सो नियमा / सुहमेण सुहमकाए अंतमुहुत्ताउओ होइ / " * पजत्तजीवसरीरभावनिव्वत्तयं पज्जत्तनामं / अपज्जत्तभावनिव्वत्तयं चापज्जनामं / नओ आह आहारसरोरिदियपज्जत्ती आणपाणुभासमणे / चत्तारि पंच छप्पिय एगिदियविगलसण्णीणं // एयासिं निप्फत्ती उदएणं होइ जस कम्मस्स। तं पज्जत्तयनाम इयरुदए नत्थि निष्फत्ती // जं एगमेगं जीवं पइ सरीरनिव्वत्तयं तं पत्तेयसरीरनामं / जं अणेगजीवसामण्णसरीरनिवत्तयं तं माहारणसरीरनामं / जओ आह"(एक्कक्कयम्मि जीवे) एक्केक्कं जस्स होड उदएणं / 'ओरालियं सरीरं तं नाम होइ पत्तेयं // जीवाणमणंताणं एक्कं ओरालियं इह सरीरं / हवइ हु जस्सुदएणं तं साहारं हवइ नामं // " देहावयवाणं थिरभावजणंगं थिरनामं / जओ आह"दंतट्राइथिराणं अंगावयवाण जस्स उदएणं / निप्फत्ती उ सरीरे जायइ तं होइ थिरनामं // जीहाभमुहाईणं अंगावयवाण जस्स उदयेणं / निष्फत्ती उ सरीरे जायइ तं अथिरनामं तु // " - नामं तु पुग्गलविवागी / जओ आहसिरमाईण सुहाणं अंगावयवाण जस्स उदएणं / निष्फत्ती उ सरीरे जायइ तं होइ सुहनामं // पायाई असुहाणं अंगावयवाण जस्स उदएणं / निप्फत्ती उ सरीरे जायइ तं असुहनामं तु // * सोहग्गजणगं सुभगनामं / दोहग्गजणगं दुभगनाम / जओ आह"सूभगकम्मुदएणं हवइ हु जीवो उ सव्वजणइट्ठो। दूभगकम्मुदएणं पुण दुभगो सो सव्वलोयस्स // " सूसरत्तभावं सूसरनामं / दूसरत्तभावं दूसरनामं / जओ आह"सूसरकम्मुदएणं सूसरसहो उ होइ इह जीवो / दूसरउदए विसरो जंपतो होइ जणवेसो // " उज्जभावजणगं आदेयनामं / अणुज्ज(भावज)णगंअणादेयनामं / अहवा आदेज्ज पमाणीकरणं / अणाइज्जं (अपमाणीकरणं) / जओ आह"आइज्जकम्मउदए चिट्ठा जीवाण भासणं जं च। तं बहु मण्णइ लोओ अबहुमयं इयरउदएणं // " कित्तिभावगं जसकित्तिनामं / अजसकित्तिभावगं अजसकित्तिनामं / जओ आह"जस्सुदएणं जीवो लइह हु कित्ती जसं च लोगम्मि। तंजसनामं कम्मं विवरीयं लहह इयरुदए / / " एवं सेयरविवरणा कया। 1 "ओरालाइसरीरं" इत्यपि प्राचीनप्रथमकर्मग्रन्थे पाठः।