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________________ अदाबीपना नकशानी हकीगत. मुथा चुल्लहेमवंत पर्वतना, तथा चार खांमुथा हेमचंतनामे युगलीयाना देवनां, तथा श्राप खांडुश्रा महाहेमवंत पर्वतना, तथा शोल खांडुआ ह रिवास युगलीयानां देवनां तथा वत्रीश खांमुया निषध पर्वतना. एरीते नरत होत्रीयी मामीने निषध पर्वत लगे वेशव खांडुश्रा थया. तेवाज त्रेशठ खांदुआ ऐरवत दत्रयी मामीने नीलवंत पर्वत लगे थाय श्रने चोश खंडुक प्रमाणे महाविदेह क्षेत्र एम सरवाले मली एकशो नवं खांमुश्रानुं जंबहीप वे. ते एकेको खांडुन (556) योजन अने एक योजननां अंगणीश लाग करीये तेवा न नाग उपर एटला प्रमाणनो जाणवो, तेने एकशो नेवुये गुणतां बराबर एक लाख योजन दहणोत्तर जंब्रहीपनां थाय, तेनी यंत्र स्थापना // खंमुक. क्षेत्रादिकोनां नाम. 64 महाविदेह देवनां खंडुक चोशठ. 1 जरतदेोत्रनो खंडुक एक. 32 नीलवंतपर्वतनां खंडुक वत्रीश. 2 चुहिमवंतपर्वतनां खंमुक बे. 16 रम्यक्त्र युगलीयानुं खंमुक शोल. 4 हेमवंतयुगलीयानुदेव खंडुक चार. 5 रूपीपर्वतनां खंमुक आठ. 7 महादेमवंतपर्वत खंमुक आव. ऐरन्यवंतदेत्रयुगलीयानूखंडक चार. 16 हरिवासयुगल देवनां ग्वमुक शोल. 2 शिवरीपर्वत ग्वंमुक वे. 32 निषधपर्वतमा वमुक पत्री ऐवतदेत्रनो ग्वंसक एक. 2 वीजा बोले योजन प्रमाण कहे. जंबहीपना दक्षण दरवाजाश्री मांडीने चुल्ल हेमवंत पर्वतनां झपजकूट पर्यंत (556) योजन अने व कला प्रमाणे जरतदेव. तथा 1852) योजन ने वारकला प्रमाणे पहोलो हिमवंत पर्वतो. तथा 2155 ) योजन ने पांच कला प्रमाणे पहोलो डेमवंतयुगल ने तथा 4210 ) योजन ने दश कला प्रमाणे पहोवू महाहिमवंत पर्वतले, तथा 1421) योजन अने वे कला प्रमाणे पहोवू हरिवास युगलीयान कंत्र. तथा 16742 ) योजन अने वे कला प्रमाणे पहोलो निषधपर्वत. एज प्रमाणे ऐरवतत्रयी मामीने नीलवंतपर्वत लगे पण म र्यादा जाणवी श्रने निपधपर्वतश्री मांगी नीलवंत पर्वत बगे 33374 ) योजन अने चार कला उपर एटळ महाविदेहक्षेत्र पोहोबुंडे सरवाले उत्तर दक्षिण जंबछोपनां एक लाख योजन थया तेनुं यंत्र. क्षेत्रादिकनां नाम. पोहोलाइ यो कला. क्षेत्रादिकना नाम. पहोलाश्यो कला. .... 6 नीलवंतपर्वत, 16742 .... 5 चुलहेमवंतपर्वत ....... 1052 .... 15 रम्यकत्र युगलीयानुंग४५१ .... ? हेमवंतयुगल क्षेत्र. .... 2105 .... 5 रूपी पर्वत. .... 4210 .... 10 महा हिमवंतपर्वत. .... 4210 .... 10 ऐरन्य वंतयुगल क्षेत्र. 2105 .... 5 जरतक्षेत्र.
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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