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________________ अढीवीपना नकशानी हकीगत.. हरिवर्षयुगलक्षेत्र .... 451 .... 1 शिखरीपर्वत ... 1055 .... 15 निषधपर्वत .... 1645 ..... 2 ऐरवतक्षेत्र .... 516 .... 6 महाविदेहदेत्र .... 33604 .... 4 33157----17 6642---- सरवाले ( 100000) 3 त्रीजे बोले गणीत पद कहे जे. सातसें क्रोड, नेक्रोड, बपन्नलाख, चोराणु हजार, उपर दोढसो योजन कांश्क अधिकुं एटलुं जंबूडीपनुं गणीत पद बे. 4 चोथे बोलें परिधि कहे .त्रणलाख शोख हजार बसें सत्तावीश योजन,त्रण कोश, एकशो अहावीश धनुष्य अने तेर अंगुल जाजेरा एटली जंवृष्टीपनी परिधि जाणवी. तथा पंदरलाख एक्यासी हजार एकसो उंगणचालीश योजन किंचित उणा लवण सी मुनी परिधि जाणवी. तथा एकतालीश लाख दश हजार नवसे ने एकशठ योजन एटली धातकी खंमनी परिधि जाणवी.तथा एकाणु लाख सीतेर हजार बशें पांच योजन कांक विशेषाधिक एटली कालोदधीनी परिधि जाणवी तथा एक कोड बैंतालीश लाख त्रीशहजार बशें उगणपञ्चास योजन एटली अत्यंतर पूष्करानी परिधि जाणवी. ___5 पांचमें बोले पूर्वथी ददण, दक्षणथी पश्चिम, पश्चिमथी उत्तर धार धारनुं अंतर कहे . जंगणाएंसी हजार बावन योजन एक कोश पंदरसें बत्रीश धनुष्य अने त्रण अं गुल एटलो जंबूहीपना दरवाजा दरवाजानो अंतर जाणवो. तथांत्रणलाख, पंचा णुहजार बशें बेंसी योजन ने एक कोश एटलो लवण समुज्नां दरवाजा दरवाजानो अंतर जा णवो तथा दशलाख सत्तावीश हजार सातशे पांत्रीश योजन श्रने त्रण कोश एटटुं धातकी खंगना दरवाजा दरवाजानो अंतर जाणवो. तथा बावीश लाख बाणु हजार बशे बेतालीश योजन अने त्रण कोश एटलो कालोदधीनां दरवाजा दरवाजानो अंतर जा णवो. अने पुष्करानां दरवाजा नथी पण श्राखो पुष्करछीप शोललाख योजननो ते ना दरवाजा ले परंतु अईहीपनां दरवाजा नथी, प्रत्येक बीप समुननी परिधिना योज ननो चोथो नाग करी तेमांथी छारनां बारणानां सामाचार योजन उठा करतां जेटला योजन बाकी रहे तेटर्बु दरवाजा दरवाजानुं अंतर जाणवू. तथा जंछीपनां चार दर वाजानां नाम था प्रमाणे. एक पूर्वे विजय, बीजो दक्षिणे विजयवंत, त्रीजो पश्चिमेज यंत, चोथो उत्तरे अपराजित. ए चार दरवाजाने नामे ए दरवाजाना चार धारपालना पण एहीज नाम , जंबूनो कोट मूलमां पोहोलो बार योजन डे तथा मध्यजागे पोहोलो पाठ योजन अने उपर पोहोलो चार योजन तथा सर्वे दरवाजा श्राव योजन ऊंचा बे श्रने चार योजन पहोल पणे बारणा . एकेक कोरनी बे बाजु बारशा
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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