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________________ पण्णवणासुत्तं प० 1 321 तउसेल्वालुवालुंके / घोसाड्यं पंडालं तिंदूयं चेव तेंदूमं // 48 // विंटसमंस-कंडाह एयाई वंति एगजीवस्स / पत्तेयं पत्ताई सकेसरमकेसरं मिंजा // 49 / / सप्फाए मज्झाए. उव्वेहलिया य कुहणकुंदुक्के / एए अणंतजीवा बुदुक्के होइ भयणा उ॥५०॥ बीए जोणिब्भूए जीवो वक्कमइ सो व अण्णो वा / जोऽवि य मूले जवो सोऽवि य पत्ते पढमयाए // 55 // सव्वोऽवि किसलओ खलु उग्गममाणो अणंतओ भणिओ। सो चेव विवड्ढंतो होइ परित्तो अणंतो वा // 52 // समयं वक्रताणं समयं तेसिं सरीरणिव्यत्ती / समयं आणुग्गहणं समयं ऊसासणीसासो // 53 // इक्कस्स उ जं गहगं बहूण साहारणाण तं चेव / जं बहुयाणं गहणं समासओ तं पि इक्कस्स // 54 // साहारणमाहारो साहारणमाणुपाणगहणं च / साहारणजीवाणं साहारणलवखणं एयं // 55 // जह अयगोलो धंतो जाओ तत्ततवणिजसंकासो / सव्वो अगणिपरिणओ गिओयजीवे तहा जाण // 56 // एगस्स दोण्ह तिण्ह व संखिजाण व ण पासिउं सक्का / दीसंति सरीराइं गिओयजीवाणऽगताणं // 57 / / लोगागासपए से णिओयजीवं ठवेहि इक्विकं / एवं मविजमाणा हवंति लोया अणंता उ // 58 // लोगागासपएसे परित्तजीवं ठवेहि इक्किकं / एवं मविजमाणा हवंति लोया असंखिजा // 59 // पत्तेया पजत्ता पयरस्स असंखभागमित्ता उ / लोगाऽसंखा पजत्तयाण साहारणमणंता // 60 // एएहिं सरीरेहि पञ्चक्ख ते परूविया जवा / सुहमा आणागिज्झा चक्खुप्फासं ण ते इंति // 61 // जेयावण्णे तहप्पगारा / ते समासओ दुविहा पण्णत्ता / तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य / तत्थ णं जे ते अपज्जत्तगा ते णं असंपत्ता / तत्थ णं जे ते पजत्तगा तेसि णं वण्णादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई, संखिजाई जोणिप्पमुहसयसहस्साइं / पजत्तगणिस्साए अपजत्तगा वक्कमंति / जत्थ एगो तत्थ सिय सखिजा, सिय असंखिजा, सिय अणंता / एएसि णं इमाओ गाहाओ अणुगंतव्वाओ तंजहा-कंदा य कंदमूला य, रुक्खमूला इयावरे / गुच्छा य गुम्मा वल्ली य, वेणुयाणि तणाणि य // 1 // पउमुप्पल संघाडे हढे य सेवाल किण्हए पणए / अवए य कच्छ भाणी कंदुक्केगूणवीसइमे // 2 // तयछल्लीपवालेसु पत्तपुप्फफलेसु य / मूलग्गमज्झबीएसु जोणी कस्सइ किंत्तिया // 3 // सेत्तं साहारणसरीरबायरवणस्सइकाइया। सेत्तं बायरवणस्सइकाइया। सेत्तं वणस्सइकाइया। सेत्तं एगिदिया ॥४३-३॥से किं तं बेइंदिया? बेइंदिया अणेगविहा पण्णत्ता / तंजहा-पुलाकिमिया, कुच्छिकि मिया, गंडूयलगा,
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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