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________________ श्रीमदुपासकदंशाङ्ग स्त्रम् / अध्ययनं ] पञ्चप्पिणन्ति 2 / तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया गहाया जाव पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइं जाव अप्पमहग्घाभरणालकियसरीरा चेडिया-चकवाल-परिकिराणा धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ 2 पोलासपुरं नगरं मझमज्झेणं निग्गच्छइ 2 जेणेव सहस्सम्बवणे उजाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 धम्मियात्रो जाणाश्रो पचोरुहइ 2 चेडियाचकवालपरिवुडा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 तिक्खुत्तो जाव वन्दइ नमंप्सइ 1 नचासन्ने नाइदूरे जाव पञ्जलिउडा दिइया चेव पज्जुवासइ 3 / तए णं समणे भगवं महावीरे अग्गिमित्ताए तीसे य जाव धम्मं कहेइ, तर णं सा अग्गिमिता भारिया समणस्स भगवश्री महावीरस्स अन्तिए धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुट्ठा समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 त्ता एवं वयासी-सदहामि णं भन्ते ! निग्गन्थं पावयणं जाव से जहेयं तुम्भे वयह, जहा णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए बहवे उग्गा भोगा जाव पव्वइया नो खलु अहं तहा संचाएमि देवाणुपियाणं अन्तिए मुराडा भवित्ता जाव अहं णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए पंचाणुबइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडियजिस्सामि, ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबन्ध करेह 4 / तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणस्स भगवत्रो महावीरस्म अन्तिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं सावगधम्म पडिवजइ 2 समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ 2 तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ 2 जामेव दिसं पाउभ्या तामेव दिसं पडिगया 5 / तए णं समणे भगवं महावीरे अनया कयाइ पोलासपुरायो नयरायो सहस्सम्बवणाश्रो पडिनिग्गच्छ(निक्ख)ई 2 बहिया जणययविहारं विहरइ 6 // सू० 43 // तए णं से सदालपुत्ते समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ 1 / तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते इमीसे कहाए लद्ध? समाणेएवं खलु सदालपुत्ते आजीवियसमयं वमित्ता समणाणं निग्गन्थाणं दिद्धिं
SR No.004365
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages510
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, agam_anuttaropapatikdasha, agam_prashnavyakaran, & agam_vipakshrut
File Size12 MB
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