SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 117
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 2. संवेग - मोक्ष की अभिलाषा करना संवेग है अथवा पाप और पाप के फल से भीति होना संवेग है। 3. निर्वेद - सांसारिक विषयों के प्रति विरक्ति होना निर्वेद है। ___4. अनुकम्पा - नि:स्वार्थ भाव से दुःखी जीवों के दु:खों को दूर करने की इच्छा करना। 5. आस्तिक्य - सर्वज्ञ कथित तत्त्वों पर दृढ़ श्रद्धा रखते हुए उस पर शंका का . भाव न लाकर विश्वास करना। इन पाँच लक्षणों से सम्यक्त्व की पहिचान होती है। . सम्यक्त्व के पच्चीस दोष - सम्यग्दर्शन की प्राप्ति के लिए एवं उसकी शुद्धता के लिए पच्चीस दोषों को त्यागना अति आवश्यक है, क्योंकि उनका त्याग किये बिना सम्यक्त्व की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है। वे दोष तीन मूढताएँ, आठ मद, छह अनायतन और आठ शंका आदि के रूप में कहे गए हैं। तीन मूढताएँ - 1. लोकमूढता, 2. देवमूढता और 3. गुरुमूढता। आठ मद - कुल, जाति, बल, धन, ज्ञान, तप, रूप और ऐश्वर्य मद। छह अनायतन - मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान, मिथ्याचारित्र, मिथ्या दृष्टि, मिथ्याज्ञानी और मिथ्याचारित्री। आठ दोष - शंका, कांक्षा, विचिकित्सा, मूढदृष्टिप्रशंसा, निन्दा, अस्थिरी-करण, अवात्सल्य और अप्रभावना। इन आठ दोषों को साधारण व सरल रूप में निम्नत: समझा जा सकता है। जीवादि तत्त्वों के विषय में शंकित रहना शंका दोष, धर्म के पालन से भौतिक सुखों की आकांक्षा रखना कांक्षा नाम का दोष है। धार्मिक पुरुषों को देखकर ग्लानि करना विचिकित्सा दोष है। वैभव संपन्न अन्यहष्टियों को देखकर उनकी प्रशंसा करना अन्यहष्टिप्रशंसा नामक दोष है। धर्म का अनुपालन करते समय धार्मिकों द्वारा होने वाले स्खलन को निन्दा का विषय बनाना निन्दा दोष है। स्खलन होने पर उन्हें पुन:स्थापित करने का भाव नहीं होना अस्थिरीकरण है। धार्मिकों में परम्पर मित्रता का अभाव अवात्सल्य है तथा श्रेष्ठ कार्यों से धर्म तथा धार्मिकों के गुणों की कीर्ति विस्तारित न करना अप्रभावना नामक दोष है। 1. योगशास्त्र, 2/15. 3. छहढाला, 3/11. 2. ज्ञानार्णव, 6/8. 86
SR No.004283
Book TitleBhartiya Yog Parampara aur Gnanarnav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendra Jain
PublisherDigambar Jain Trishala Mahila Mandal
Publication Year2004
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy