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________________ 12 वैयक्तिक विकास के लिए हृदय की वत्तियों से उत्पन्न अनुभूतियों को विचार के लिए बुद्धि के समक्ष प्रस्तुत करना और बुद्धि द्वारा निर्णय हो जाने पर कार्य में प्रवत्ति करना। 13 दया, ममता, करुणा आदि के उद्घाटन द्वारा मानवता की प्रतिष्ठा। 14 संस्कृति और समाज के इतिहास का यथार्थ परिज्ञान आगम साहित्य के ___ माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। जीवन और जगत के विविध अनुभवों की जानकारी इस साहित्य में निहित है।20 .. ऊपर वर्णित आगम शास्त्रों के परिचय से स्पष्ट है कि आत्म-विना. इनका केन्द्रीय विषय है। इसकी परिधि में जीवन और जगत् की जो अन्य विद्याएँ और विधाएँ हैं, उनके आर्थिक-पक्ष की मीमांसा करना इस शोध का उद्देश्य है। (30)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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