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________________ निपट भौतिकवादी और अनात्मवादी सोच और कार्य-शैली से आज संसार एक ऐसी जगह पर आ गया लगता है, जहाँ आगे विनाश के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। अहिंसा का सिद्धान्त आत्मवाद की बुनियाद पर खड़ा है। यह बुनियाद बहुत मजबूत व बहुआयामी है। आगम ग्रन्थों में अहिंसा की जैसी मौलिक, सूक्ष्मतम व सर्वग्राही व्याख्या मिलती है, वैसी अन्यत्र दुर्लभ है। आगम ग्रन्थों में वर्णित अहिंसा सम्बन्धी सूक्ष्म विवेचन का पर्यावरण और पारिस्थितिकी की दृष्टि से बहुत महत्व है। ग्रन्थों में संसारी जीव के दो प्रकार बताये गये हैं - स्थावर और वस। जिन जीवों में गमनागमन की क्षमता का अभाव हैं, वे स्थावर जीव हैं तथा जिनमें चलने-फिरने की क्षमता हैं, वे त्रस जीव हैं। स्थावर जीव स्थावर जीवों के पाँच भेद हैं - 1. पृथ्वी : स्थूल पृथ्वी के दो प्रकार बताये गये हैं - मृदु और कठोर। मृदु पृथ्वी के सात प्रकार हैं - काली, नीली, लोहित (लाल), हारिद (पीली), श्वेत, पाण्डु और पनकमृतिका (नधुप पंक, किट्ट तथा चिकनी दोमट)। कठोर पृथ्वी छत्तीस प्रकार की हैं - शुद्ध पृथ्वी, शर्करा, बालुका, उपल, शिला, लवण, ऊष, अयस्, ताम्र, त्रपु, सीसक, रूप्य, सुवर्ण, वज्र, हरिताल, हिंगुलुक, मनःशीला, सस्यक, अंजन, प्रवालक, अभ्रक-बालुका, अभ्र-पटल, गोमेदक, रुचक, अंक, स्फटिक, मरकत (पन्ना), भुजमोचक, इन्द्रनील (नीलम), चन्दन-मणि, पुलक, सौगन्धिक, चन्द्रप्रभ, वैडूर्य, जलकान्त और सूर्यकान्त इन भेदों में कृषि योग्य मिट्टी से लेकर रत्न-मणि तक का उल्लेख हैं। पृथ्वी समस्त प्राणियों के लिए आधार है। प्रदूषण की मार पृथ्वी के नैसर्गिक वैविध्य पर पड़ी है। पृथ्वी के प्रदूषित होने से उसके आश्रित रहने वाले अनेक त्रस जीवों तथा स्थावर में वनस्पति आदि के जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ा। अनेक जीव-जन्तु और वनस्पतियाँ धरती से विलुप्त हो गई। पृथ्वीकाय के स्वरूप को जानकर इनकी विराधना से बचना चाहिये। 2. जल : स्थूल जल के पाँच भेद बताये गये हैं - शुद्ध उदक, ओस, हरतनु, कुहरा ..' और हिम। सहज रूप से सर्व-सुलभ जल आज बिकाऊ हो गया है, उसके ... लिए झगड़े होते हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान विश्व में (273)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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