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________________ व्यक्तित्व निर्मित करते हैं। इसी प्रकार समाधान भी उसके संकल्प और मनोभाव में छिपा है। ये संकल्प और मनोभाव शुभ और अशुभ हो सकते हैं। जिनकी तीनतीन श्रेणियाँ हैं। इस प्रकार के मनोभावों का विश्लेषण करने वाली लेश्याएँ छः बताई गई है। जिनमें तीन अशुभ और तीन शुभ हैं / 1. कृष्ण लेश्या (अशुभतम मनोभाव) : कृष्ण लेश्या वाला व्यक्ति क्रूरतम मनोभाव लिये जीता है। हिंसा, हत्या, खून-खच्चर और व्यभिचार में ऐसे व्यक्ति को बहुत रस आता है। क्रूरतम, नृशंस और प्रलयंकारी कृत्यों से वह अपने जीवन को संचालित करता है। कृष्ण-लेश्याधारियों की वजह से संसार ने अनेक युद्ध झेले, वन, वन्य-जीव और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। ऐसे लोगों की वजह से समाज भय-मुक्त नहीं बन पाता है। हिरोशिमा और नागासाकी पर बमबारी कृष्ण लेश्या का वीभत्स उदाहरण है। 2. नील लेश्या (अशुभतर मनोभाव) : कृष्ण का अर्थ है - बिल्कुल काला। नीला रंग काले से कुछ ठीक होता है। पर लेश्या सिद्धान्त में इसे भी अप्रशस्त ही माना जाता है। उत्तराध्ययन सूत्र में ऐसे व्यक्ति को कपटी, निर्लज्ज, ईर्ष्यालु, असहिष्णु, असंयमी, लम्पट, रसलोलुप आदि दुर्गुणों से युक्त बताया गया है। आर्थिक जीवन में ऐसे व्यक्ति दरिद्रता का जीवन जीते हैं। वे लोगों से वैसा स्थायी व्यवहार नहीं बना सकते हैं, जिससे व्यापार और उद्योग की प्रगति हो। 3. कापोत लेश्या (अशुभ मनोभाव) : कृष्ण और नील लेश्या से कापोत लेश्या वाले के मनोभाव कुछ ठीक होते हैं। परन्तु इतने अच्छे नहीं होते हैं कि उन्हें प्रशस्त या कल्याणकारी माना जाय। ऐसे. व्यक्ति का सारा कारोबार अपनी स्वार्थ-सिद्धि तक ही सीमित रहता है। वह अपने हितों को साधने के लिए लोगों को लड़ाने-भिड़ाने, छल-कपट करने में जरा भी संकोच नहीं करता है। सामाजिक और आर्थिक जगत में नील और कापोत लेश्या वाले लोगों की भरमार है। इसीलिए संसार इतनी त्रासदियाँ भुगत रहा है। 4. तेजो लेश्या (शुभ मनोभाव) : आर्थिक दृष्टि से तेजो लेश्या वाला व्यक्ति अपना और जगत् का हित सम्पादन करने वाला होता है। उत्तराध्ययन में इस लेश्या को प्रशस्त बताते हुए कहा गया है कि ऐसा व्यक्ति अच्छे आचरण वाला, नम्र, सहिष्णु, निष्कपट, संयमी और सत्पुरुषार्थी होता है। (268)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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