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________________ 4. काल-विस्मरण : सामायिक के प्रति प्रतिबद्धता और समयबद्धता नहीं रखना। सामायिक की समयावधि का ध्यान नहीं रखना। 5. अनवस्थितकरण : सामायिक को विधि और नियम पूर्वक नहीं करना, अव्यवस्थित ढंग से करना। इन पाँच अतिचारों को टालने के साथ सामायिक करने वाले को द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की शुद्धि का भी ध्यान रखना चाहिये। आचार्यों ने एक सामायिक की काल-मर्यादा एक मुहूर्त यानि 48 मिनिट निर्धारित की है। श्रावक के लिए सामायिक प्रथम आवश्यक है। सामायिक के पाठों में छोटे-छोटे दोषों के लिए आलोचना की जाती है। वह आलोचना गमनागमन और ध्यान-साधना से सम्बन्धित है। समग्र दृष्टि से देखा जाय तो सामायिक एक उत्कृष्ट साधना है, जिसके माध्यम से व्यक्ति समत्व के अधिकाधिक निकट होता जाता है। सामायिक के स्वरूप पर एक विहंगम दषष्टपात करने से यह निष्कर्ष आसानी से निकाला जा सकता है कि सामायिक करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासित, सहिष्णु, परिश्रमी, स्वावलम्बी और समयज्ञ होता है। जीवन को कुशलता पूर्वक चलाने, श्रेष्ठ प्रबन्धन और धनोपार्जन करने के लिए जिन योग्यताओं की आवश्यकता होती हैं, सामायिक से वे सहज निष्पन्न होती हैं। तीर्थंकर महावीर के अनुयायियों की सम्पन्नता के पीछे सामायिक साधना का बहुत बड़ा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष योगदान है। 10. देशावकाशिक व्रत ... पाँचवें, छठवें और सातवें व्रतों - परिग्रह परिमाण, दिशा परिमाण और उपभोग परिभोग परिमाण का इस शिक्षाव्रत में प्रशिक्षण और अभ्यास किया जाता है। निर्धारित समय के लिए श्रावक यह प्रतिज्ञा करता है कि वह अमुक सीमा के बाहर न वह स्वयं जायेगा, न दूसरों को भेजेगा तथा मर्यादा के बाहर की वस्तु के उपभोग परिभोग का भी विवेकपूर्वक त्याग रखेगा। उपासकदशांग सूत्र टीका में इस व्रत की काल मर्यादा दिन-रात या इससे कम-ज्यादा समय की बताई गई है। जबकि श्रावकाचार के अन्य ग्रन्थों में क्षेत्र मर्यादा के अन्तर्गत घर, मोहल्ला, ग्राम, खेत, वन, नदी आदि एवं काल मर्यादा के अन्तर्गत सप्ताह, पक्ष, माह, चातुर्मास, ऋतु, वर्ष आदि को परिगणित किया गया है। श्वेताम्बर स्थानकवासी परम्परा में दया-व्रत के नाम से जो साधना की जाती है, वह इसी व्रत का रूप है। इसके (201)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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